उदयपुर ।  नौवां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के समापन भाषण के साथ संपन्न हुआ। सोमवार को इसका उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया था। इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ। सीपी जोशी और राष्ट्रमंडल संसदीय संघ मुख्यालय के चेयरपर्सन इयान लिडेल ग्रैन्जर भी मौजूद थे।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन सफल रहा और सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श से विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत वर्तमान और भावी चुनौतियों के समाधान में बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बदलते परिपेक्ष में, हमें अपनी संस्थाओं के अंदर विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए, ताकि हमारी संस्थाएं प्रभावी परिणाम ला सकें। बिरला ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान भारत से निकले।
वर्तमान समय में आधुनिक कानूनों की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि यदि हम अपने देश को विकास और समृद्धि के पथ पर ले जाना चाहते हैं, तो हमें वर्तमान समय की प्रासंगिकता और आवश्यकताओं के अनुरूप अप्रचलित कानूनों के स्थान पर नए कानून लाने होंगे। हम कानूनों में आवश्यक परिवर्तन करके, पारदर्शी और जवाबदेह शासन व्यवस्था के साथ लोगों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन करते हुए विकसित भारत की ओर आगे बढ़ेंगे। बिरला ने ये भी कहा कि विधानमंडल वर्तमान और भावी चुनौतियों से निपटने के लिए गहन विचार और चर्चा का मंच हैं।
ओम बिरला ने विधानमंडलों की गरिमा और मर्यादा में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विधानमंडलों की गरिमा इस बात पर निर्भर करती है कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विधि निर्माता सदन में कैसा व्यवहार करते हैं। इस संबंध में उन्होंने वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजने में विधायकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों और राज्यों के महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक पहल करके और भविष्य के लिए एक व्यापक कार्य योजना विकसित करके 2047 तक भारत को समृद्ध और विकसित बनाने में योगदान दे सकते हैं।
बिरला ने ये भी कहा कि हमारे विधानमंडलों की गरिमा और प्रतिष्ठा तभी बढ़ेगी जब जनप्रतिनिधि देश और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा और संवाद करेंगे। जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करें और उनकी समस्याओं को सरकार के समक्ष लाकर उनका समाधान करें। साथ ही सदन में व्यवधान का सहारा लेने के बजाय, उन्हें लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विधायिका को एक मंच बनाना चाहिए। बिरला ने कहा कि डिजिटल तकनीक का उपयोग करने से उनकी प्रभावशीलता में सुधार होगा और उनका काम आसान हो जाएगा।