देश के सभी ईमानदार टैक्स पेयर के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारिख 31 जुलाई, 2023 है। आईटीआर फाइल करने से पहले अगर आप भी उस टैक्स को बचाना चाह रहे हैं जो लीगल है और आपका हक है तो आपके लिए यह बड़ी खबर है।

अगर आपने नई टैक्स रिजीम चुनी है और आपकी आय 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच आती है, तो आपको अधिकतम 30 प्रतिशत की रेट से टैक्स देने की जरूरत नहीं है।

इन बातों का रखें ध्यान

आप इनकम टैक्स व्यय पर बचत कर सकते हैं लेकिन उससे पहले आप यह सुनिश्चित करना होगा कि आपने किसी टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट में महत्वपूर्ण निवेश नहीं किया हुआ है।

करदाताओं को इनकम टैक्स की धारा 80C या 80D जैसे विभिन्न वर्गों के तहत टैक्स छूट से बचने के लिए नई टैक्स रेजीम के तहत कम दरों पर आयकर का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

कितने प्रतिशत लगता है टैक्स?

10 लाख रुपये से अधिक लेकिन 15 लाख रुपये से कम आय वाले व्यक्ति को नई टैक्स व्यवस्था में 20 या 25 प्रतिशत की दर से टैक्स का भुगतान करना होगा।

वहीं अगर आपने पुरानी टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुना है तो आपको 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि दोनों टैक्स व्यवस्था स्लैब में 30 प्रतिशत सबसे अधिक टैक्स है।

इस तरह उठा सकते हैं लाभ

भारत में आप दोनों तरह के टैक्स रिजीम या तो नई टैक्स रिजीमया फिर पुरानी टैक्स रिजीमसे आयकर रिटर्न फाइल कर सकते हैं।

अगर आप नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, तो आपको चालू वित्त वर्ष के लिए टैक्स दाखिल करने से पहले फॉर्म 101E जमा करना होगा। फॉर्म 101E में की गई घोषणा सरकार को टैक्सपेयर की कर व्यवस्था की पसंद का आकलन करने में मदद करती है, जिससे उन्हें नई कर व्यवस्था का लाभ उठाने में मदद मिलती है।

लग सकता है जुर्माना

आपको बता दें कि इन दोनों टैक्स सिस्टम में अलग-अलग टैक्स स्लैब और उनके अलग-अलग फायदे है और नुकसान है।

दोनों ही टैक्स स्लैब में अधिकतम 30 फीसदी का टैक्स देना होता है। अगर आप आईटीआर फाइल करने की आखिरी डेट से चुक जाते हैं तो आपको जुर्माने के साथ-साथ ब्याज भी देने पड़ सकता है।