झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। दोनों याचिकाओं में उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें खनन के पट्टे देने में कथित अनियमितताओं के चलते सोरेन के खिलाफ जांच के लिए एक जनहित याचिका को स्वीकार किया गया था। सीजेआई एनवी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों का संज्ञान लिया। सिब्बल ने इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। 

सिब्बल ने कहा, 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी याचिकाओं को सूचीबद्ध नहीं किया गया। इस पर पीठ ने कहा, हम 28 जुलाई के लिए इसे सूचीबद्ध करते हैं। सोरेन की ओर से इस याचिका पर सुनवाई के लिए कपिल सिब्बल के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा भी पेश हुईं। शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई को, झारखंड सरकार द्वारा दायर एक अपील पर अंतरिम निर्देश देने से इनकार कर दिया था। यह अपील, उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी जिसमें, खनन मामलों में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच का अनुरोध करने वाली एक याचिका को सुनवाई योग्य स्वीकार किया गया था।