जयपुर। राजस्थान में नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी के अलग-अलग मामलों में पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा सहित पांच जिलों के पुलिस अधीक्षक उच्च न्यायालय में पेश हुए। जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ में सभी पुलिस अधिकारियों को तलब कर कई मामलों में एक साल से नाबालिग बच्चों की बरामदगी नहीं होने पर नाराजगी जताई है। 

न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक से पूछा कि आपके पास गुमशुदा बच्चों की बरामदगी को लेकर किए जाने वाले प्रयासों की क्या व्यवस्था है। न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि गुमशुदा नाबालिग बच्चों की बरामदगी को लेकर पड़ौसी राज्यों की पुलिस से भी समन्वय स्थापित करें। साथ ही न्यायालय ने गुमशुदा बच्चों के आधार कार्ड का विवरण भी केंद्र सरकार को पेश करने के लिए कहा है।

जिससे यदि गुमशुदगी की अवधि में इन नाबालिगों का आधार कार्ड कहीं पर काम में लिया गया हो तो उसके आधार पर इन्हें तलाशा जा सके। सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से बताया गयाकि प्रदेश में गुमशुदा की बरामदगी का रिकार्ड 99 प्रतिशत है।

मंगलवार को न्यायालय में हुई सुनवाई में पुलिस महानिदेशक के अतरिक्त अजमेर पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट, अलवर पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा, दौसा पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा, धौलपुर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार एवं भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा न्यायालय में पेश हुए।