गुजरात में सक्रिय चक्रवाती तूफान और उत्तर भारत में मौजूदा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हरियाणा में कई जिलों में वर्षा का येलो अलर्ट है। चक्रवात का दक्षिण हरियाणा के जिलों में अधिक असर दिखाई देगा। यहां भारी वर्षा के आसार हैं। बाकी जिलों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।

धूल भरी हवा चलने का दौर भी बना रहेगा। इस स्थिति से ज्यादातर क्षेत्रों में तापमान स्थिर रहेगा। मध्य आषाढ़ अर्थात 19 या 20 जून से प्री मानसून वर्षा गतिविधियां शुरू होने के आसार हैं। चंडीगढ़ मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी चेतावनी में दर्शाया गया है कि 18 व 19 जून तक पूरे प्रदेश में कई जगह वर्षा की प्रबल संभावना है। नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। इस वजह से मौसम में बदलाव आएगा।

हरियाणा और में चक्रवात का असर 18 जून से दिखेगा। अभी तेज हवा और भारी वर्षा ने कच्छ और सौराष्ट्र के तटों को बुरी तरह प्रभावित किया है। तेज हवा के कारण पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ने लगे। ऊंची-ऊंची लहरों से स्थिति बहुत भयावह हो गई। कुछ जगह नौ-नौ मीटर तक लहरें उठ रही थीं। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि चक्रवात के केंद्र का व्यास (डायमीटर) लगभग 50 किलोमीटर का है।

वह 13-14 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। चक्रवात के कारण सबसे ज्यादा मांडवी, कच्छ, द्वारका, मोरबी, जूनागढ़ एवं जामनगर जिले के तटीय क्षेत्रों में ऊंची लहरें उठ रहीं हैं। क्षति का आकलन तभी हो पाएगा जब ज्वार उतर जाएगा। लहरें, वर्षा और हवा थम जाएंगी।

आइएमडी की चेतावनी चार-पांच दिन पहले से ही आ रही थी। तटीय इलाकों से एक लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचा दिया गया था। पोर्ट बंद कर दिए गए थे। हवाई उड़ान एवं ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था।