अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि सीएम भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार को सिख गुरद्वारा एक्ट 1925 की धारा में किसी तरह का संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है‌। उन्होंने स्पष्ट किया कि संशोधन का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है।

सरकार इस बारे संसद में बिल पास करके इसे कानून का रूप दे सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मान जलती आग में हाथ डालने का प्रयास ना करें, नहीं तो उनका हाथ आग में जल जाएगा। अगर वह खेल, खेलने का प्रयास करेंगे तो इससे निकलने वाले नतीजों की जिम्मेवारी उनकी होगी। इसलिए वे पंजाब के शांतिपूर्वक माहौल को खराब करने का प्रयास ना करें।

धार्मिक मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इस मुद्दे पर कहा कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के अंश पढ़े हैं। इसलिए अधिनियम में यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार (इस मामले में) हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। दिल्ली में बैठे राजनीतिक गुरु को खुश करने की कोशिश में एक धार्मिक मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। पंजाब सरकार इस अधिनियम को नहीं बना सकते क्योंकि इसे विभाजन से पहले इसके द्वारा तैयार किया गया था। यह इसे संशोधित नहीं कर सकता।

विरोध में लोग

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने इस घोषणा का विरोध करते हुए इसे सिख धर्म के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया। जैसे ही मान ने यह घोषणा की, उन्हें सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में दखल देने की कोशिश करने के लिए बीजेपी और एसएडी दोनों से प्रतिक्रिया मिली।