दो दिनों की राजनीतिक उठापटक के बीच राज्यपाल ने चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। 31 जनवरी को हेमंत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के करीब 40 घंटे बाद झारखंड में शुक्रवार को नई सरकार बनी।

इस बीच 40 घंटे तक राज्य में कोई मुख्यमंत्री नहीं था। इस अवधि के लिए राज्यपाल की ओर से न तो किसी को कार्यवाहक सीएम बनाया गया और ना ही नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण हुआ। पूर्व मंत्री सरयू राय समेत कई लोगों ने इसे संवैधानिक संकट की स्थिति बताते हुए राज्यपाल से शीघ्र निर्णय लेने या अल्पकालिक राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी की।

चम्पाई ने भी गुरुवार को शपथ ग्रहण को लेकर चल रहे असमंजस के बीच राज्यपाल को पत्र लिखकर इस स्थिति का हवाला दिया था और सरकार बनाने के लिए उन्हें शीघ्र बुलाए जाने का आग्रह किया था। झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि राज्यपाल को ऐसी स्थिति में निर्णय के लिए विधिक राय की जरूरत पड़ती है। राज्य में ऐसी परिस्थिति पहली बार बनी कि किसी मुख्यमंत्री को इस्तीफा देकर जेल जाना पड़ा।

संवैधानिक प्रविधानों के मुताबिक, राज्यपाल राज्य के प्रधान होते हैं, लेकिन वह कैबिनेट की सलाह से ही काम करते हैं। सीएम पद खाली रहने के कारण 31 जनवरी की रात से दो फरवरी के दोपहर तक झारखंड में कोई कैबिनेट भी नहीं थी।

जहां तक चम्पाई को शपथ ग्रहण के लिए बुलाने में विलंब किए जाने की बात है तो यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है। वह निर्णयों के लिए समय ले सकते हैं और समय सीमा की बाध्यता नहीं है, लेकिन बहुत लंबे समय तक राज्य को मुख्यमंत्री के बिना खाली भी नहीं छोड़ा जा सकता है। परामर्श के बाद उन्होंने एक फरवरी को देर रात नए मुख्यमंत्री को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।