निमाड़ अंचल में गणगौर हिंदुओं का सबसे बड़ा लोक पर्व माना जाता है. हर साल चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पर्व मनाया जाता है. यह लोक पर्व मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़ी धूमधाम से लोग मनाते हैं. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक खरगोन सहित पूरे निमाड़ में गणगौर लोक पर्व का खासा उत्साह रहता है.

बता दें कि इस साल चैत्र शुक्ल तृतीया गुरुवार 11 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी. माता की बाड़ी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन खुलेगी. इसी दिन माता की घट स्थापना भी होगी. लोग ज्वारों स्वरूप माता की टोकरियां रथों में लेकर अपने-अपने घर जाएंगे. फिर अगले तीन दिनों तक भक्त गणगौर के लोकगीत और झालरिया गाएंगे.

होती है शिव-पार्वती की आराधना
खरगोन के मंडलेश्वर निवासी बताया कि खरगोन सहित पूरे निमाड़ में गणगौर एक लोक पर्व के रूप में मनाया जाता है. गणगौर शब्द गण और गौरा से मिलकर बना है. गण का अर्थ शिवजी से है. गौरा का अर्थ माता पार्वती से है. इस पर्व में शिव और पार्वती दोनों की आराधना की जाती है

इस समय करें घट स्थापना
इस साल मंगलवार 9 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है. इसी दिन माता की घट स्थापना होगी. लेकिन, इस दिन वैधृति योग भी है. पंचांग के अनुसार, वैधृति योग अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए घट स्थापना का मुहूर्त अभिजीत काल का हो तो अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. अभिजीत काल का मतलब होता है, मध्यान सूर्योदय का समय यानी दोपहर 12 बजे के 24 मिनट पहले और 24 मिनट बाद. इस हिसाब से 11:40 बजे से 12:20 बजे तक का समय घट स्थापना के लिए सबसे शुभ होगा.

8 दिनों तक मनाएंगे गणगौर पर्व
वैसे तो गणगौर चैत्र कृष्ण एकादशी से ही प्रारंभ हो जाता है. बाड़ी में ज्वारे बोए जाते हैं. हर दिन महिलाएं गणगौर के लोकगीत गाती हैं, जिन्हें झालरिया कहते हैं. पर्व के दौरान महिलाएं शिव और पार्वती दोनों की पूजा, आराधना करती हैं. तीज के दिन माता के विसर्जन के साथ पर्व का समापन होता है.