पेरिस । चीनी खतरे का सामना कर रहे जापान को मित्र फ्रांस से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, जापान ने चीन से निपटने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना शुरू किया है। वहीं नाटो ने भी चीन को संतुलित करने के लिए जापान में अपने कार्यालय को खोलने पर सहमति जाहिर की थी। यह एशिया में नाटो की पहली चौकी होती। इस बीच अब इस योजना में नाटो के अहम सदस्य देश फ्रांस ने रोड़ा अटका दिया है। चीनी शिकायत के बाद फ्रांस ने जापान में नाटो के लाइजन ऑफिस को खोलने की योजना पर रोक लगा दी है।
फ्रांस ने यह कदम उस समय उठाया है, जब नाटो देशों की अगले सप्ताह बेहद अहम बैठक होने वाली है। पिछले कई महीने से नाटो के अधिकारी जापान में एक लाइजन ऑफिस खोलने के बारे में योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। यह हिंद प्रशांत क्षेत्र में नाटो गठबंधन की पहली चौकी के रूप में काम करता। वह भी तब जब चीन ताइवान से लेकर जापान तक को डरा रहा है। पीएलए के जंगी जहाज और फाइटर जेट लगातार जापान और ताइवान के आसपास अभ्यास कर रहे हैं।
खबरों के मुताबिक अगले सप्ताह नाटो देशों की लिथुआनिया में वार्षिक शिखर बैठक होने जा रही है। यह सम्मेलन उस समय पर हो रहा है जब यूक्रेन और रूस में भीषण युद्ध चल रहा है। नाटो देश जहां खुलकर यूक्रेन की मदद कर रहे हैं, वहीं रूस को चीन से परोक्ष मदद मिल रही है। नाटो की इस बैठक में जापान में लाइजन ऑफिस खोलने पर फैसला हो सकता है। इस बीच नाटो के इस प्लान में फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने अड़ंगा डाल दिया है जो पिछले दिनों बीजिंग की यात्रा पर गए थे और अब ड्रैगन के साथ रिश्ते मजबूत कर रहे हैं। राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि नाटो को मूल रूप से उत्तर अटलांटिक इलाके पर फोकस करने के लिए बनाया गया था और अगर इसका भौगोलिक विस्तार होता हैं, तब इससे गठबंधन के प्रभाव क्षेत्र के कम होने का खतरा पैदा हो जाएगा।