मथुरा में यमुना का जल स्तर तेजी के साथ बढ़ते हुए सोमवार को मथुरा के प्रयागघाट पर 167.30 मीटर के निशान को छू गया। पिछले 13 साल बाद यमुना जल में यह रिकॉर्ड वृद्धि है। इससे पहले 2010 में अधिकतम जलस्तर 167.34 मीटर दर्ज किया गया था। हालांकि शाम को जलस्तर स्थिर हो गया। वहीं वृंदावन के परिक्रमा मार्ग में चार-पांच फीट पानी भरने के कारण नाव चल रही हैं। बावजूद इसके बाढ़ से राहत की संभावना कम है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि अगले चौबीस घंटे में जलस्तर स्थिर हो जाएगा उधर, यमुना का पानी गांवों के बाद शहरी इलाकों में भी पहुंच गया है। इससे लोगों में दहशत का माहौल है। मथुरा-वृंदावन शहरी क्षेत्र की 150 से अधिक कॉलोनियां यमुना जल की चपेट में आ चुकी हैं। इनके अलावा एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। रविवार रात यमुना के जलस्तर में तेजी देखने को मिली। करीब पांच सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन सोमवार को त़ड़के 3 बजे के बाद यमुना जल की रफ्तार में गिरावट होने लगी। चार बजे से सुबह आठ बजे तक यमुना जल में वृद्धि पांच से घटकर दो सेंटीमीटर और इसके बाद एक सेंटीमीटर प्रति घंटा रह गई। दोपहर दो बजे यमुना का जल स्तर 167.30 मीटर पर पहुंचकर थम गया। पानी की मात्रा में ठहराव का यह दौर कई घंटे नजर आया। प्रशासन का दावा है कि ताजेवाला और ओखला बैराज पर अब पानी की मात्रा में गिरावट आ रही है। इससे मथुरा में यमुना का जल स्तर बढ़ने के बजाए घटने लगेगा। सुबह 8 बजे ताजेवाला से 46612 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, वो शाम चार बजे घटकर 38976 क्यूसेक रह गया। ओखला पर पानी की मात्रा दिन भर एक लाख क्यूसेक के आसपास ही रही है। मथुरा में गोकुल बैराज से अब आगरा की ओर पानी का दबाव बढ़ गया है। करीब 1.5 लाख क्यूसेक पानी गोकुल बैराज से छोड़ा गया है। जिलाधिकारी पुलकित खरे ने बताया कि यमुना का जल स्तर शाम को स्थिर हो गया है। शेरगढ़ और नौहझील में पानी उतरने लगा है। रात को यह स्थिति मथुरा-वृंदावन में भी नजर आएगी।