नई दिल्ली । हवाईअड्डों पर अवसंरचनाओं/सुविधाओं को बेहतर बनाने सहित हवाईअड्डों का विस्तार एक निरंतर प्रक्रिया है जो भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) अथवा संबंधित हवाईअड्डा संचालकों द्वारा प्रचालन संबंधी आवश्यकताओं, यातायात, मांग, वाणिज्यिक संभावनाओं आदि के आधार पर किया जाता है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य हवाईअड्डा संचालकों ने 2019-24 के दौरान 98,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत व्यय की योजना शुरू की है, जिसमें विभिन्न ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों के विकास/उन्नयन/आधुनिकीकरण और बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का विकास करना शामिल है जिसमें एएआई की लगभग 25000 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर, आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा और तिरुपति, अरुणाचल प्रदेश में ईटानगर और तेजू, असम में डिब्रूगढ़, बिहार में दरभंगा और पटना, दिल्ली में सफदरजंग, गोवा में गोवा, गुजरात में धोलेरा, राजकोट, सूरत और वडोदरा, लद्दाख में लेह, कर्नाटक में कलबुर्गी, केरल में कालीकट, मध्य प्रदेश में भोपाल, ग्वालियर इंदौर, जबलपुर और रीवा, महाराष्ट्र में जुहू, कोल्हापुर और पुणे, मणिपुर में इंफाल, ओडिशा में भुवनेश्वर, राजस्थान में जोधपुर, तमिलनाडु में चेन्नई, कोयम्बटूर, मदुरै, त्रिची और तूतीकोरिन, त्रिपुरा में अगरतला, उत्तर प्रदेश में अयोध्या, गोरखपुर, कानपुर, मुइरपुर और सहारनपुर, उत्तराखंड में देहरादून और पश्चिम बंगाल में कोलकाता का विकास/विस्तार किया है। उन्नयन संबंधी प्रयासों में टर्मिनल और एटीसी टॉवर सह तकनीकी ब्लॉकों के निर्माण से लेकर सिविल एन्क्लेव के विस्तार, रनवे के विस्तार, सुदृढ़ीकरण और री-कार्पेटिंग के साथ-साथ एप्रन, पार्किंग बे और अन्य संबंधित अवसंरचना सुधार शामिल हैं।