पांच पर भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर
भोपाल। प्रदेश की छह लोकसभा सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने का काम 27 मार्च को पूरा हो गया। अब 30 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। इन सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। इन छह सीटों पर कुल 113 प्रत्याशी मैदान में हैं। इन छह सीटों में से छिंदवाड़ा को छोडक़र पांचों सीटें फिलहाल भाजपा के कब्जे में है। सत्तारूढ़ भाजपा इस बार ये सभी छह सीटें जीतने में जुटी है, हालांकि विधानसभा चुनाव के नतीजों को देख विश्लेषण करें तो तीन सीटों मंडला, छिंदवाड़ा व बालाघाट में कांग्रेस कड़ी टक्कर दे सकती है, जबकि सीधी, शहडोल व जबलपुर में भाजपा मजबूत स्थिति में है। सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा 400 पार के लक्ष्य को लेकर बढ़ रही है और वह एक बार फिर राम और मोदी लहर के दम पर प्रदेश की सभी सीटों पर जीत के प्रति आश्वस्त है।
सीधी- यहां मुकाबला भाजपा के राजेश मिश्रा और कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल के बीच है। हालांकि, भाजपा के राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने बागी होकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) से नामांकन भरा है। अजय प्रताप सिंह सीधी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन भाजपा ने राजेश मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। यहां पर अजय प्रताप सिंह के नाम वापस नहीं लेने पर मुकाबला रोचक हो सकता है। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक कमलेश्वर पटेल को टिकट दिया है। सीधी संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं। इसमें चुरहट, सीधी, सिंहावल, चितरंगी, सिंगरौली, देवसर, धौहानी, ब्यौहारी शामिल हैं। चुरहट सीट कांग्रेस ने जीती है बाकी सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
जबलपुर- इस सीट पर कांग्रेस के दिनेश यादव और भाजपा के आशीष दुबे के बीच टक्कर है। कांग्रेस ने 10 साल से जबलपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष को प्रत्याशी बनाया है। यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं। जबलपुर में कांग्रेस को बड़ा चेहरा हैं। पार्षद रह चुके हैं। पीसीसी के महामंत्री भी रहे हैं। वहीं, यहां से भाजपा ने आशीष दुबे को प्रत्याशी बनाया है। वे केंद्रीय नेतृत्व के करीबी हैं। इस सीट से राकेश सिंह को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था। चुनाव जीतने के बाद राकेश सिंह ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वे प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। जबलपुर में आठ विधानसभा सीटें है। इसमें पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पनागर और सिहोरा सीट शामिल हैं। इनमें से सिर्फ एक सीट जबलपुर पूर्व कांग्रेस के कब्जे में है।
शहडोल (एसटी)- इस सीट पर कांग्रेस के फुंदेलाल मार्को और भाजपा की हिमाद्री सिंह के बीच मुकाबला है। हिमाद्री सिंह शहडोल से सांसद हैं। वहीं, मार्को पुष्पराजगढ़ आरक्षित सीट से विधायक हैं। वे तीन बार के विधायक और आदिवासियों के बड़े नेता हैं। उनकी ताकत जमीनी और जनता से जुड़ा होना है। वे अधिकतर अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित शहडोल संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें जयसिंहनगर, जैतपुर, कोतमा, अनुपपुर, पुष्पराजगढ़, बांधवगढ़, मानपुर और बड़वारा सीट है। इनमें से सात सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।
बालाघाट- यहां पर कांग्रेस के युवा नेता सम्राट सारस्वत और भाजपा की भारती पारधी के बीच मुकाबला है। भाजपा ने सांसद ढाल सिंह बिसेन का टिकट काटकर पार्षद भारती पारधी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट पर भरोसा जताया है। वह पूर्व विधायक अशोक सारस्वत के बेटे हैं और राजपूत समाज से आते हैं। इस संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें बैहर, लांजी, परसवाड़ा, बालाघाटा, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट और सिवनी आती हैं। यहां चार-चार सीटें भाजपा और कांग्रेस दोनों ने जीती हैं। वहीं, दो आरक्षित सीट में से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बैहर सीट पर कांग्रेस और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बरघाट सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।
मंडला (एसटी)- यहां पर मुकाबला केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और कांग्रेस के विधायक ओमकार सिंह मरकाम के बीच है। कुलस्ते को भाजपा ने निवास सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ाया था, लेकिन वे चुनाव हार गए। ओंकार सिंह मरकाम डिंडौरी से विधायक हैं। मरकाम वर्तमान में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य हैं। इस संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं। इसमें डिंडौरी, बिछिया, निवास, केवलारी, लखनादौन, शहपुरा, मंडला और गोटेगांव शामिल हैं। इसमें से पांच सीटें कांग्रेस और तीन पर भाजपा का कब्जा है। इसमें छह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। जिसमें चार कांग्रेस ने जीतीं।
छिंदवाड़ा- इस सीट पर कांग्रेस के सांसद नकुलनाथ और भाजपा के युवा नेता विवेक बंटी साहू के बीच मुकाबला है। छिंदवाड़ा सीट जीतने के लिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है। कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में शामिल नहीं होने के बाद अब भाजपा ने उनके करीबियों को भाजपा में शामिल करने की रणनीति अपनाई है। पिछली बार कांग्रेस ने जीती इस एकमात्र सीट पर नकुलनाथ करीब 37 हजार वोटों से जीते थे। ऐसे कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के लिए छिंदवाड़ा सीट बचाना चुनौती पूर्ण हो सकता है। वहीं, बंटी साहू छिंदवाड़ा में भाजपा के बड़े नता है और युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है। इस संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिन पर कांग्रेस का कब्जा है। इसमें जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया और पांडुर्णा शामिल है।