सरिया(गिरिडीह)। धनबाद-लुधियाना एक्सप्रेस 13308 (डाउन) में रविवार सुबह लगभग 7.15 बजे ब्रेक बाइंडिंग हो गई। गाड़ी के परसाबाद रेलवे स्टेशन पार करने के बाद किसी रेलवे स्टाफ की नजर फ्रंट एलआर( इंजन से सटे बोगी) के नीचे पहिया के पास से धुआं और आग की निकलती लपटों पर पड़ी।

सूचना चौबे रेलवे स्टेशन को दी गई। वहां ड्यूटी पर तैनात स्टेशन मास्टर ने गाड़ी को चौबे स्टेशन पर आपातकालीन स्थिति में सुबह 7.21 बजे रुकवाया। इसके बाद रेलवे कर्मियों की मदद व अग्निशमन यंत्र के माध्यम से धधकती आग पर काबू पाई गई। उस बोगी को तुरंत दुरुस्त किया गया, जिसका पहिए से ब्रेक सटा था। इसी वजह से घटना हुई।

इसके बाद गाड़ी को अगले स्टेशन के लिए खोला गया। यदि समय रहते आग पर काबू नहीं पाई जाती तो बड़ी घटना हो सकती थी। 7.48 बजे गाड़ी को धनबाद की ओर प्रस्थान करवाया गया।

क्या कहते हैं जानकार

इस संबंध में आरपीएफ सहायक उप निरीक्षक अरुण कुमार ने बताया कि चलती गाड़ी में कभी-कभी ब्रेक बाइंडिंग हो जाती है। इस कारण पहिया के पास से धुआं निकलने लगता है। कहा कि स्थिति सामान्य होने के बाद गाड़ी को दोबारा प्रस्थान करवाया गया।

क्या कहते हैं रेल यात्री

इस ट्रेन में ही कोडरमा से हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन के लिए यात्रा कर रहे सरिया निवासी संजय साव ने बताया कि अगर समय रहते रेल प्रबंधन सचेत नहीं होता तो एक बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता था। इससे काफी जान माल का भी नुकसान हो सकता था। उन्होंने बताया कि जिस बागी में हादसा हुआ, ठीक उसके पिछले डिब्बे में वे यात्रा कर रहे थे।

परसाबाद रेलवे स्टेशन के बाद अगले डिब्बे से अचानक काफी तेज घर्षण जैसी आवाज आने लगी और धुएं की लपटे भी पिछली बोगी तक पहुंच रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था की ट्रेन का कोई हिस्सा अब-तब टूटने की कगार पर है, लेकिन अचानक जैसे ही चौबे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुकी, वैसे ही सभी रेलयात्री ट्रेन के पिछले डिब्बे से कूद कर बाहर निकले।

तब तक ट्रेन के लगभग पांच पहिया के पास से जोरदार आग की लपेट निकलती हुई दिखाई दे रही थी। रेल अधिकारी, ट्रेन के चालक, गार्ड, स्टेशन के कर्मी इस उठती लपटों पर काबू पाने में जुट गए।

ट्रेन में इमरजेंसी के लिए रखे गए छोटे अग्निशामक यंत्र की मदद से आग नियंत्रित की गई। इसके बाद ट्रेन को धीरे-धीरे हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन तक लाया गया, लेकिन परसाबाद रेलवे स्टेशन से हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन के बीच लगभग 40 किलोमीटर की दूरी की यात्रा भय और डर के साए में गुजरा।