झारखंड के धनबाद जिले में 27 जनवरी 2023 की मध्य रात्रि भीषण अगलगी की घटना में शहर के प्रसिद्ध हाजरा दंपति समेत 5 लोगों की जान चली गई थी। अब इसे लेकर अधिवक्ता कुंदन सिन्हा ने इसका दोषी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को माना है अधिवक्ता ने इस संबंध में राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों को पत्र लिखकर तत्कालीन सिविल सर्जन व डीडीएम सीमा कुमारी पर कार्रवाई करने की मांग की है। इसके साथ न्यायालय में भी शिकायत दर्ज कराई जा रही है। अधिवक्ता का कहना है क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का धनबाद में पालन नहीं हो रहा है। हाजरा के नर्सिंग होम में अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग धनबाद के अधिकारियों ने अस्पताल को लाइसेंस दिया। इस कारण अगलगी की घटना में डॉक्टर दंपती समेत पांच लोगों की जान चली गई।

आवासीय परिसर को मिलना चाहिए लाइसेंस

क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत नर्सिंग होम से सटे डॉक्टर के आवासीय परिसर में अग्निशमन का एनओसी नहीं मिल सकता है। इसका एनओसी नहीं मिलने पर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत लाइसेंस निर्गत नहीं किया जा सकता है। अस्पताल यदि आवासीय क्षेत्र में है, ऐसे अस्पताल को फायर का एनओसी नहीं मिल सकता है। किसी बड़े भवन में अस्पताल चल रहा है, तो पूरे भवन का फायर एनओसी लेना होगा, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार करके लाइसेंस दिये।

फिर हो सकती है हाजरा जैसी घटना

धनबाद में फिर से हाजरा जैसी अगलगी की घटना हो सकती है। इसका कारण 50 से ज्यादा निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और पॉलीक्लिनिक का लाइसेंस रिनुअल नहीं हुआ है।कई के पिछले 6 महीने से भी ज्यादा हो गए हैं। इसके सांठगांठ से यह अस्पताल चल रहे हैं। कभी भी इन अस्पतालों में अगलगी की घटना होती है, तो कई मरीजों की जान जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के लाइसेंस के लिए सबसे जरूरी अग्निशमन से एनओसी और बायोवेस्ट की मुकम्मल व्यवस्था के लिए सर्टिफिकेट प्राप्त करना है। इन दोनों सर्टिफिकेट के आधार पर क्लीनिक स्टाइलिश मेंट एक्ट का लाइसेंस निर्गत करना है।