जयपुर । राजस्थान कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने पिछले दिनों राहुल गांधी द्वारा की गई भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आई तमाम क्षेत्रीय आमजन की हितसाधक शिकवे शिकायतों के पत्रों में से उन शिकायतों को सरकार निस्तारण के द्वार पहुंचाकर कांग्रेस पार्टी का वोट जनाधार बढ़ाकर चुनाव जीतने की तिकड़म में लग गई है उन तमाम शिकवे शिकायतों में सबसे बड़ा मुद्दा ईआरसीपी को चुना है जिसके तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलो की 83 सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल करना चाह रही है।
पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में ईआरसीपी के मु्द्दे पर केंद्र सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ कांग्रेस लगातार पांच दिन जनजागरण अभियान और पदयात्राएं करेगी। बताया जाता है कि 25 से 29 सितंबर तक इन जिलों में इस तरह के कार्यक्रम होंगे। ईआरसीपी के मुद्दे पर कांग्रेस थिंक टैंक ने केंद्र सरकार और भाजपा को घेरने की रणनीति बनाई है। पिछले दिनों में कांग्रेस वॉर रूम में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के दौरान भी पूर्वी राजस्थान से आने वाले मंत्रियों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की सलाह दी थी। हालांकि पार्टी पिछले डेढ़ साल से लगातार ईआरसीपी का मुद्दा जोर-जोर से उठा रही है। लेकिन अब चुनाव में भी इस मुद्दे पर पीएम मोदी और अन्य नेताओं घेरने की रणनीति बनी है। ईआरसीपी में अलवर, करौली, जयपुर, अजमेर, बारां, भरतपुर, दौसा, झालावाड़, कोटा, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और धौलपुर है। ईआरसीपी के तहत आने वाले 13 जिलों में विधानसभा की 83 सीटे हैं जिन पर कांग्रेस की नजर है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां बड़ी बढ़त मिली हुई थी। 49 सीटों पर कांग्रेस 8 सीटों पर निर्दलीय और एक सीट पर राष्ट्रीय लोकदल का कब्जा है, जबकि भाजपा के पास केवल 25 सीटे है जिन्हें बढ़ाने के लिए कांग्रेस ईआरसीपी को बड़ा मुद्दा बनाकर चल रही है।