रांची। लोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड में देर से ही सही कांग्रेस की शुरुआत आक्रामक प्रचार तंत्र के साथ हाे रही है। पिछली बार झारखंड में कांग्रेस को महज एक सीट पर जीत मिली थी और वह जीत भी उम्मीदवार के ही खाते में गई थी। पार्टी को कम ही क्रेडिट मिला था।

अब इस चुनाव में वह उम्मीदवार गीता कोड़ा भाजपा के साथ चली गई है तो पार्टी खाली हाथ दिख रही है। इसके अलावा झारखंड के 14 सीटों पर एक सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में भी आई थी। इस चुनाव में दोनों सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

जहां पिछली बार कम अंतर से हुई हार, वहां फोकस

इसके बावजूद जीत को लेकर कांग्रेस रणनीति में बदलाव करते हुए भाजपा का किला भेदने का मौका तलाश रही है। पार्टी उन सीटों पर अधिक फोकस कर रही है, जहां पिछली बार कम अंतर से चुनाव हारे थे।

इसके अलावा जहां-जहां जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों को भाजपा ने बदला है। वहां कांग्रेस अपनी स्थिति मजबूत करने की तैयारियों में जुटी है। फोकस किया जा रहा है कि पार्टी ना सिर्फ बेहतर प्रदर्शन करे, बल्कि जीताऊ उम्मीदवार भी हों। यही कारण है कि धनबाद, चतरा आदि सीटों पर अभी तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की गई है।

झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए तेजी से मशक्कत कर रही है। खासकर इस बार चुनाव में कांग्रेस अपने लिए सीटों को बढ़ाने का मौका देख रही है। यही कारण है कि पार्टी ने कार्यकर्ताओं से लेकर उम्मीदवारों तक काे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ा है ताकि इसी क्रम में उनके बीच एक मजबूत रिश्ता कायम हो सके।

प्रशिक्षण की शुरुआत शनिवार को ही हो गई, जब अब तक घोषित तीन उम्मीदवारों को जिला स्तर के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ बैठाकर विभिन्न मुद्दों पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी ने चर्चा की। अब आगे इसी प्रक्रिया को बढ़ाने की तैयारी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी इस क्रम को आगे बढ़ाएंगे।

भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की ये है रणनीति 

कांग्रेस उन इलाकों में अधिक फोकस कर रही है, जहां महागठबंधन के विधायकों की संख्या अधिक है अथवा जहां पूर्व में कांग्रेस के सांसद रहे हैं। खूंटी में जहां केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस उम्मीदवार को मामूली अंतर से हराया था, इस बार कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए पूरी कोशिश करेगी। इसी प्रकार चतरा में भाजपा के द्वारा उम्मीदवार को बदले जाने का फायदा उठाने की कोशिश में भी कांग्रेस है।

धनबाद में पहले भी कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं और इस आधार पर पार्टी वहां जीतने की तैयारियों में जुटी हुई है। पुराने लोगों को जुटाया जा रहा है। दरअसल, रणनीति के तहत ऐसे क्षेत्रों को पार्टी अपने पुराने धुरंधरों को तलाशकर मैदान में उतारने की कोशिश में है। पार्टी ने ऐसे लोगों की वापसी के लिए तमाम दरवाजे भी खोल दिए हैं और कई पदों को इसी बहाने अभी तक रिक्त भी रखा गया है। पार्टी उनकी वापसी के साथ उन्हें महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी भी दे सकती है।

"कांग्रेस पिछले चुनाव से कहीं बेहतर प्रदर्शन करेगी। हमने पिछले पांच वर्षों में जमीनी स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत करने का काम किया है और जनता के बीच भी रहे हैं। इसका फायदा जरूर मिलेगा। हमें किसी दूसरे दल की कमजोरी की ओर देखने की जरूरत नहीं है। हमारा संगठन बूथस्तर तक है जिसका लाभ हमें तो मिलेगा ही, गठबंधन को भी मिलेगा।- राजेश ठाकुर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष।"