राजस्थान में इलेक्शनों के लिए राजनीतिक दलों की मशक्कत जारी है। हर सीट पर हर एक राजनीतिक दल अपने सियासी नट बोल्ट कसने में लगा हुआ है। आज इस खबर में हम मारवाड़ की उस सीट का जिक्र करेंगे जहां 25 वर्षों से कॉंग्रेस हार रही है। किंतु, ऐसा कहा जाता है कि इस बार इस सीट पर बीजेपी का खेल बिगड़ सकता है।

दरअसल हम बात कर रहे हैं मारवाड़ की सिवाना सीट की। मारवाड़ की सिवाना विधानसभा क्षेत्र को स्थानीय भाषा में सीमाजी भी कहा जाता है। सिवाना मुख्यालय पर स्थित किले का निर्माण मारवाड़ शासक मालदेव ने करवाया था।

इस सीट की सियासत की बात करें तो आजाद भारत में लोकतंत्र की स्थापना के बाद इस सीट पर पहली बार 1951 में मतदान हुआ। तब से अब तक इस सीट का अलग ही राजनीतिक इतिहास रहा है। यह सीट ज्यादातर एससी वर्ग के लिए आरक्षित रही। वहीं बीते 25 सालों में कांग्रेस इस सीट पर जीत नहीं पाई। इस सीट के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां पर 17.21 फीसदी अनूसूचित जाति के मतदाता हैं जबकि 8.81 फीसदी अनुसूचित जनजाति के वोटर्स हैं।

1998 ने कांग्रेस को जीत नहीं हुई नसीब

यह सीट कई दशकों तक एससी वर्ग के लिए रही किंतु, 2008 के बाद से यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई। इस सीट पर कुल 2,70,997 मतदाता हैं। इनमें करीब अनुसूचित जनजाति के 25 फीसदी से ज्यादा वोटर हैं। इस सीट पर 1998 के बाद से कांग्रेस जीत दर्ज नहीं कर पाई।

आपको बता दें कि सिवाना विधान सभा सीट का ज्यादातर इलाका ग्रामीण क्षेत्र है। यहां ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। इस क्षेत्र में काफी वक्त से पेयजल की काफी दिक्कत आ रही है। समस्या चल रही है। इसे लेकर सिवाना मुख्यालय पर बीते 2 साल से धरना भी चल रहा है। वहीं सड़को के हाल खराब हें। इसी क्षेत्र से लूणी नदी निकलती है।

बीजेपी का बिगड़ सकता है खेल

ऐसे में पाली की फैक्ट्री लूनी नदी के जरिये इस क्षेत्र के किसानों की जमीन को बंजर कर रही है। इसे लेकर भी लम्बे समय से लोग आवाज़ उठा रहे हैं। किंतु, अभी तक केमिकल युक्त पानी से क्षेत्र के किसानों को छुटकारा नहीं मिल पाया। इस इलेक्शन में ये भी एक अहम मुद्दा रह सकता है। किंतु, 25 साल से कॉंग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज नहीं की और की कहा जा रहा क्यूंकि इस बार दावेदारों की लंबी लिस्ट है तो कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी का खेल भी इस बार बिगड़ सकता है।