बीजिंग । चीन दूसरे देशों की जासूसी के लिए नए-नए हथकंडा अपनाने से बाज नहीं आ रहा है। अब चीन अंटार्कटिका में अपने पांचवें रिसर्च बेस के निर्माण में और तेजी ला रहा है, जिसके माध्यम से वह अन्य देशों की जासूसी कर सकता है। रॉस सागर के पास इनएक्सप्रेसिबल द्वीप पर स्थित नए स्टेशन से महाद्वीप तक पहुंचने की देश की क्षमता में बढ़ोतरी कर सकता है। शोधकर्ताओं ने पहली बार 2018 में बेस की नींव रखी थी, लेकिन अगले कुछ वर्षों में इसका काम रुक गया। जब इस निर्माण की खबर पश्चिमी देशों के कान में पड़ी तो उन्होंने ध्रुवीय क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर चिंता जाहिर की।
पश्चिमी देशों को डर है कि बीजिंग आर्कटिक के लिए नए शिपिंग मार्ग विकसित करने का ढोंग कर रहा है। इसके बजाय वह अपनी जासूसी क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश में है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने करीब एक दशक पहले पहली बार दक्षिणी गोलार्ध्द को समझने, संरक्षित करने और इस्तेमाल करने की अपनी योजनाओं का खुलासा किया था, तब से यह चीन के ध्रुवीय निर्माणों का स्लोगन बन गया क्योंकि चीन अपने चार मौजूदा रिसर्च बेस पर लगातार विस्तार कर रहा है।
हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि टीमों के पास अब उपकरण की कमी नहीं है और निर्माण कार्य चल रहा है। वॉशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक की ओर से जनवरी में इकट्ठा की गई तस्वीरों से पता चलता है कि निर्माण कार्य चार साल से अधिक समय बाद फिर से शुरू हुआ है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज ने नई सुविधाओं, अस्थायी इमारतों और एक हेलिकॉप्टर पैड की पहचान की है।
दावा किया जा रहा है कि पूरा होने पर यह चीन के ज़ुएलॉन्ग आइसब्रेकर जहाजों के लिए एक घाट और सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन के साथ एक ऑब्जर्वेटरी के रूप में काम करेगा। 5 हजार स्क्वायर मीटर के स्टेशन की एक विशालकाय मुख्य इमारत का जमीनी निर्माण कार्य भी तस्वीरों में देखा जा सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि बेस 2024 तक पूरा हो सकता है। चीन का कहना है कि पांचवें बेस का निर्माण निश्चित रूप से अंटार्कटिका को समझने में उनकी क्षमता को बढ़ाएगा।