बेंगलुरु । कर्नाटक में कांग्रेस ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए रखने का फैसला किया है। एक साक्षात्कार में राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच आपसी सहमति कायम करने को लेकर कहा, ‘पार्टी नेतृत्व का मानना ​​था कि दोनों नेताओं को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। हम राज्य को चलाने के लिए 11 की टीम चाहते थे, न कि 1 की टीम। 
सुरजेवाला ने कहा कि दोनों नेता खुश हैं, लेकिन पूछा गया कि क्या सिद्धारमैया 5 साल के पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहने वाले हैं, तब उन्होंने कोई वादा नहीं किया।  डीके के करीबी सूत्रों ने बताया कि समझौते में तय समय पर ‘मुख्यमंत्री बदलाव का फॉर्मूला शामिल है। यह पूछने पर कि क्या कार्यकाल के बंटवारे के समझौते पर नेतृत्व सहमत हो गया है और क्या सिद्धारमैया 5 साल तक मुख्यमंत्री बने रहने वाले हैं, इसपर सुरजेवाला ने कहा, पावर-शेयरिंग का एकमात्र फॉर्मूला एक सेवक के रूप में कर्नाटक की जनता का सेवा करना है। 
सुरजेवाला ने कहा, सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों मुख्यमंत्री बनने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। कर्नाटक में भाजपा के विपरीत, कांग्रेस के पास सभी स्तरों पर नेतृत्वकर्ता हैं, जिनका एकजुट प्रयास ही हमारी जीत का प्रमुख कारण है। (कांग्रेस अध्यक्ष) मल्लिकार्जुन खड़गे का दृष्टिकोण हमेशा से सहमति, सर्वसम्मत और एकता का था और रहा है। उन्होंने ढाई दिनों में विस्तृत विचार-विमर्श कर अंत में एक समाधान पर पहुंचे, जहां दोनों नेता पार्टी के विकास के एजेंडे को कर्नाटक में लागू करने में शामिल है। गौरतलब है कि यह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया का दूसरा कार्यकाल होगा, इससे पहले वह 2013 से 2018 तक राज्य के सीएम रह चुके हैं।
डीके के भाई और कांग्रेस के लोकसभा सांसद डीके सुरेश की इस टिप्पणी के बारे में पूछने पर कि वह फॉर्मूले से पूरी तरह खुश नहीं थे, सुरजेवाला ने कहा कि यह डीके सुरेश की व्यक्तिगत राय है, और उन्हें अपनी राय जाहिर करने का पूरा हक है। दरअसल कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के नाम का ऐलान होने के बाद डीके सुरेश ने प्रतिक्रिया देकर कहा था, ‘मैं पूरी तरह से खुश नहीं हूं लेकिन कर्नाटक के हित में हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहते थे।