जयपुर | कर्नाटक चुनाव के नतीजों के साथ ही राजस्थान भाजपा में भी कोई बड़ा बदलाव और असर दिखाई देने की उम्मीद की जा रही है। कर्नाटक में स्थानीय नेतृत्व को तवज्जो न देना भाजपा को भारी पड़ा। इस वजह से राजस्थान समेत पांच राज्यों के चुनावों में पार्टी को अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करना होगा। उम्मीद है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बड़ी भूमिका दी जा सकती है।राजस्थान में 2023 की शुरुआत से ही नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई थी। इसके चलते सतीश पूनिया की जगह सांसद सीपी जोशी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। कारण साफ था कि पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को साथ लाने में पूनिया पूरी तरह नाकाम हुए और अलग-थलग पड़ गए थे।

जोशी के आने के बाद से हालात बदले हैं। नाराज नेताओं को मनाने का काम तेज हो गया है। कुछ हद तक सफलता भी मिलती दिख रही है। कार्यकर्ताओं में भी संगठन को लेकर जोश दिख रहा है।कर्नाटक में भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी। केंद्रीय नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं की अनदेखी की और यह भारी पड़ा है। इसे देखते हुए राजस्थान में पार्टी की स्ट्रैटजी बदलने की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में अब तक हाशिये पर चल रही वसुंधरा राजे को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुछ नेता तो अभी से वसुंधरा को प्रदेश की कमान सौंपने और मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग भी करने लगे हैं।