अगरतला । त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और टिपरा मोथा सुप्रीमो प्रद्योत किशोर देबबर्मा के बीच हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के एक दिन बाद गुरुवार को कहा कि  भाजपा-नीत सरकार ‘‘टिपरालैंड’’ या ‘‘ग्रेटर टिपरालैंड’’ जैसी मांगों का कभी समर्थन नहीं करेगी। ‘‘ग्रेटर टिपरालैंड की मांग करने वाली क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा ने 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा और 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 13 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। मुख्यमंत्री साहा ने कहा, ‘‘मूल निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को कैसे ऊपर उठाया जाए, इस लेकर हमने जनजातीय कल्याण पर चर्चा की। बैठक में वार्ताकार नियुक्त करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन जनजातीय कल्याण पर चर्चा हुई।’’
केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ बैठक के तुरंत बाद, देबबर्मा ने दावा किया था कि केंद्र सरकार सुधारात्मक उपाय करने के लिए जनजातीय लोगों की समस्याओं के मद्देनजर आधिकारिक तौर पर एक वार्ताकार नियुक्त करेगी। सीएम साहा ने फिर कहा कि जनजातीय कल्याण भाजपा-इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सरकार के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र होगा। साहा ने कहा कि सरकार 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा जारी दृष्टिकोण पत्र पर काम करेगी। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं के बारे में पूछने पर मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा न केवल त्रिपुरा में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में बेहतर प्रदर्शन करेगी।
उन्होंने कहा, हमें अगले आम चुनावों में पूर्वोत्तर में 2019 के चुनावों में पार्टी की सीटों की तुलना में अधिक सीटें मिलेंगी। मंत्रिमंडल की पहली बैठक के बारे में सीएम ने कहा कि बिनय भूषण दास को विधानसभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था और लेखानुदान पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा, ‘‘नए मंत्रियों के विभागों का जल्द ही बंटवारा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कुछ नए चेहरों को लाना भाजपा सरकार की सामान्य कवायद है। पिछले मंत्रिमंडल के चार सदस्यों को इस बार हटा दिया गया था। चुनाव के बाद हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ खबरें मेरी जानकारी में आ रही हैं। एक निहित स्वार्थी समूह परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहा है। मैंने डीजीपी से स्थिति को मजबूती से संभालने के लिए कहा है।