बागेश्वर धाम पीठ से पधारे धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि झारखंड की सरकार आने नहीं दे रही थी। बाबा बैद्यनाथ ने बुला लिया तो बागेश्वर धाम का यह दास चला आया। कहा कि अब आ गए हैं तो जाएंगे नहीं। गोड्डा के सांसद ने बहुत मुश्किल से अनुमति दिलाई है।

अगली बार आएंगे तो सात दिन का प्रवचन करेंगे और दिव्य दरबार भी देवघर में लगाएंगे। एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ के बीच बागेश्वर बाबा ने कहा कि झारखंड में सनातन का पताका देवघर के लोग ही बुलंद करेंगे।

बुलंद आवाज में बाबा ने कहा कि झारखंड में भी सनातन हिंदू का परचम लहराना है। देश के हिंदुओं को जगाना है और एक होकर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे।

'भारत का बच्चा -बच्चा जय श्रीराम बोलेगा'

धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि कथा तो एक बहाना है, दरअसल देश में हिंदुओं को जगाना है। जब तक हिंदू जाग नहीं जाते तब तक यह यात्रा चलती रहेगी। राम राज्य की चर्चा करते कहा कि सनातन का झंडा लहराते रहो। राम का चरित्र अपनाओ। बाबा ने कहा कि हम किसी से नफरत नहीं करते, प्रेम करते हैं। हम हिंदूवादी हैं। भारत का बच्चा -बच्चा जय श्रीराम बोलेगा।

पलामू में कार्यक्रम नहीं होने की पीड़ा उनके शब्दों में झलकी, लेकिन संतोष जताया कि वह बाबा के दरबार में आए और पूरे मन से उनकी पूजा अर्चना किया। कथा में बाबा बैद्यनाथ के देवघर में स्थापित होने का प्रसंग सुनाया। रावण किस तरह लेकर जा रहा था और शिवलिंग कैलाश नहीं ले जा सका।

'संसार में बलवान नहीं टिकता'

संदेश दिया कि संसार में बलवान नहीं टिकता। केवल भक्त टिका रहता है। दुनियाभर के लोगों से अपील की कि वे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ के दरबार में आएं। यहां शव भी शिव हो जाता है।

उन्‍होंने देवघर के लोगों को नि‍डर की संज्ञा दी और कहा कि ये किसी ने नहीं डरते, क्योंकि ये तो देवताओं के घर देवघर में रहते हैं। बाबा भोलेनाथ के 12 श्रृंगार का भी वर्णन किया। आए हुए सनातनियों को समझाया कि मन में प्रभु राम का चरित्र रखो। किस स्थान पर रहते हो यह जरूरी नहीं आवश्यक है मन का भाव।

उदाहरण दिया कि राम राज्य में मंथरा का स्वभाव नहीं बदला और रावण राज्य में विभीषण बिगड़ नहीं पाया। बागेश्वर बाबा आध्यात्म के रास्ते लोगों को समझाते रहे कि सांसारिक रास्ते पर चलने का सुलभ मार्ग प्रभु राम को मन में बसा लेना है।

शिव और हनुमान तो एक ही हैं। चार्टर प्लेन से देवघर एयरपोर्ट पर उतरते ही सांसद निशिकांत दुबे और उनकी पत्नी अन्नुकांत दुबे ने उनका स्वागत किया। देवघर कालेज मैदान में आयोजित संत सम्मेलन में भी सांसद ने बागेश्वर बाबा को मोमेंटो भेंट किया।