जयपुर। कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह गुढ़ा को राजस्थान विधानसभा में दिए बयान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। इस पर राज्य में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस की प्रदेश सह-प्रभारी अमृता धवन ने कहा कि उन्हें बहुत पहले मंत्री पद से बर्खास्त कर देना चाहिए था। वे बीजेपी की भाषा बोलते थे।

'राजेंद्र सिंह गुढ़ा को पहले ही बर्खास्त कर देना चाहिए था'

अमृता धवन ने कहा कि राजेंद्र सिंह गुढ़ा को राजस्थान के मंत्री पद से पहले ही बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था... देवी सीता पर उनके पहले के बयान को पार्टी ने स्वीकार नहीं किया था। अमृता ने कहा कि अगर गुढ़ा कांग्रेस का हिस्सा रहते हुए बीजेपी की भाषा बोलते हैं तो यह स्वीकार्य नहीं होगा। उन्हें कई मौके दिए गए थे। उन्हें पहले ही बर्खास्त कर देना चाहिए था।

'हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबां में झांकना चाहिए'

बता दें, राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने विधानसभा में कहा था कि यह सच्चाई है कि हम महिलाओं की सुरक्षा करने में असफल हो गए हैं। राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, मणिपुर की बजाय हमें अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। गुढ़ा के इस बयान पर बीजेपी विधायकों ने भी मेज थपथपाकर समर्थन किया।

कौन हैं राजेंद्र सिंह गुढ़ा

राजेंद्र सिंह गुढ़ा झुंझनूं जिले की उदयपुर वाटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए हैं। वे सबसे पहले बसपा के टिकट पर 2008 में विधायक बने थे। उन्होंने अपना समर्थन गहलोत सरकार को दिया था, जिसके बाद उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद 2018 में राजेंद्र विधायक बने और एक साल बाद सितंबर 2019 में बसपा के पांच अन्य विधायकों के साथ वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें गहलोत सरकार में दूसरी बार मंत्री बनाया गया था।

पायलट का समर्थन करते हैं गुढ़ा 

गुढ़ा को पहले गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता था, लेकिन हाल ही में कुछ समय से वे पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ मंच शेयर करते नजर आए हैं। यही वजह है कि उनकी गहलोत से दूरियां बढ़ती गईं। गुढ़ा पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी करते रहे हैं।