ग्वालियर ।   पिछले दो दशक से सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस को चुनाव आयोग की निगरानी में चुनाव करा रही प्रशासनिक मशीनरी पर कतई भरोसा नही है। भाजपा व कांग्रेस के बीच सत्ता के लिए कांटे की टक्कर होने के अनुमानों के बीच कांग्रेस मतगणना के दौरान अधिक सतर्क और चौकन्नी रहेगी। कांग्रेस की मतगणना के पहली रणनीति है कि किसी तरह से डाक मत्र में गड़बड़ी करने से सत्ता पक्ष को रोका जाए। दूसरा हर राउंड की मतगणना का सार्टिफिकेट लेने के बाद ही दूसरे राउंड की मतगणना कराई जाए। इसके लिए प्रदेश नेतृत्व के प्रत्याशियों के निर्देश हैं कि इस बार अड़ कर चुनाव आयोग की इस गाइड लाइन का पालन कराया जाए। कांग्रेस की रणनीति से पहले चरण की मतगणना के दौरान हंगामा होने के आसार नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने प्रशासनिक अधिकारियों पर दवाब बनाने के लिए भाजपा से जुड़े अधिकारियों की सूची बनाना शुरु कर दी है। चार-पांच की मतगणना के बाद पहले राउंड की जानकारी मिलती है- अमूमन पहले राउंड की अधिकारिक जानकारी प्रत्याशी के हाथ में चार से पांच चक्र की मतगणना के बाद मिलता है। हालांकि प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों के पास इस बात की जानकारी तो होती है कि उनका उम्मीदवार कितने मतों से आगे-पीछे हैं। किंतु यह जानकारी मान्य नहीं होती है। जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा हर राउंड के बाद जो मतगणना की जानकारी देता है, वो ही कोर्ट तक में मान्य होती है। विपक्ष को आशंका रहती है कि इस अंतराल के बीच जिला प्रशासन सत्ता पक्ष के हित को ध्यान में रखते प्रत्याशी को मिले हुए मतों की संख्या को इधर से उधर से कर सकता है। इसी गड़बड़ी की आशंका कांग्रेस को है।

पहले राउंड की जानकारी दो, फिर दूसरे राउंड की गणना शुरु करो

मतगणना के दौरान कांग्रेस इस बात पर अड़ेगी कि सबसे पहले एक-एक चक्र की मतगणना की जानकारी प्रत्याशी के हाथ देने के बाद दूसरे राउंड की मतगणना शुरु की जाए। कांग्रेस के इस बात अड़ने पर पहले चक्र की मतगणना के दौरान हंगामे की स्थिति निर्मित हो सकती है।

व्यवहारिक रूप से संभव नहीं

मतगणना कार्य से जुड़े अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग की गाइड लाइन अवश्य है, लेकिन व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। पहले चक्र की मतगणना का प्रोसेस करने में काफी समय लगता है। इस बीच मतगणना को रोका नहीं जा सकता है। मतगणना निरंतर जारी रहती है, और जैसे-जैसे प्रोसेस पूरा होता जाता है, प्रत्येक राउंड की जानकारी प्रत्याशी व उनके अधिकृत प्रतिनिधि को देना शुरु कर दी जाती है। एक राउंड की गणना के बाद पूरा प्रोसेस करने के बाद दूसरे राउंड की गणना शुरु करना संभव नहीं है। इससे समय खराब होगा और गणना भी दूसरे दिन ही पूरी हो पाएगी। क्योंकि प्रत्येक राउंड का गणना के बाद कुल पड़े मतों, कितने वोट किसको मिले, इसका गुणा-भाग करने के बाद पहले निर्वाचन आयोग की साइड पर अपलोड करने के बाद प्रत्याशी को दी जाती है। इस कार्य में कुछ समय लगता है। इस अवधि में तीन से चार राउंड की मतगणना पूरी हो जाती है। उसके बाद मतगणना चलती रहती है। क्रमबद्ध तरीके से प्रत्याशी को राउंडभर जानकारी मिलती जाती है।