पेट्रोल-डीजल के बढ़ती कीमतों ने देश में हर किसी को परेशान कर रखा है। हालांकि यूपी-उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में चुनाव  से पहले डीजल-पेट्रोल की कीमतें जरूर कम हुई थी, लेकिन अब रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतें रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में एक बार फिर धीरे-धीरे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने लगे हैं। ऐसे में आम जनता डरी हुई है इस मंहगाई की मार से बचने के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक शख्स ने अलग ही तरीका खोज निकाला है।

औरंगाबाद के रहने वाले शेख युसुफ ने बढ़ते ईंधन के दामों के बाद अब कार या बाइक से नहीं बल्कि घोड़े से अपने काम पर जाना शुरू कर दिया है। दरअसल कोरोना काल के दौरान 49 साल के युसुफ शेख को अपनी लैब असिस्टेंट की नौकरी गंवानी पड़ गई थी। नौकरी जाने के बाद घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया था। तभी उन्हें ‘जरूरी सेवाओं’ के बारे में पता चला। कोरोना काल में मोदी सरकार ने जरूरी चीजें मुहैया कराने वाली दुकानों, सब्जी वालों, मेडिकल स्टोर आदि को बंद नहीं किया था। ऐसे में शेख युसुफ ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर सब्जी बेचने का काम शुरू किया और कुछ पैसों का इंतजाम होने लगा।

कुछ महीनों बाद कुछ लोगों को काम पर वापस लौटने की छूट मिल गई। युसुफ को भी वाईबी चवन कॉलेज ऑफ फार्मेसी से बुलावा आया, जहां वह लैब असिस्टेंट का काम करते थे। अब दिक्कत ये भी कि लैब उनके घर से करीब 16 किलोमीटर दूर थी, वहां जाने के साधन की दिक्कत थी। युसुफ के पास एक पुरानी बाइक थी, लेकिन पेट्रोल की ऊंची कीमतों के चलते उन्होंने लंबे वक्त तक बाइक को चलाया ही नहीं। काफी समय से बाइक पड़े-पड़े खराब हो गई थी। उस वक्त ऐसी दुकानें भी नहीं खुली थीं, जो बाइक को सही कर सके। तब उन्हें घोड़े की याद आई युसुफ के एक रिश्तेदार के पास काठियावाड़ी ब्रीड का एक काले रंग का घोड़ा था। जिसे वह 40 हजार रुपये में बेच रहे थे। युसुफ ने अपनी बाइक बेची और रिश्तेदार से कुछ किस्तों में पैसे देने की बात कर के घोड़ा खरीद लिया। अब मई 2020 में युसुफ के पास कहीं आने-जाने के लिए जिगर नाम का घोड़ा था। उसी घोड़े से वह लैब जाने लगे।