दिल्ली | दिल्ली  एयरपोर्ट से आंख मूंदकर घातक असलहों को कस्टम क्लीयरेंस दी जा रही थी। अब्बास अंसारी केस में इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम ने पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा किया है। 

नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम के अधिकारी आंख मूंदकर घातक असलहों को क्लीयरेंस दे रहे थे। इसका खुलासा शुक्रवार को एयरपोर्ट के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम विद्याधर बी. पचौरे से पूछताछ में हुआ है। 

माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक पुत्र अब्बास अंसारी के असलहों को क्लीयरेंस देने वाले असिस्टेंट कमिश्नर ने एसटीएफ की पूछताछ में इस चूक को स्वीकारा है। हालांकि उन्होंने इसका ठीकरा मातहतों पर फोड़ने का प्रयास किया।

अब्बास अंसारी अगस्त, 2016 में स्लोवानिया से प्रतिबंधित बोर की ब्लॉजर रायफल लेकर आया था। कस्टम क्लीयरेंस के दौरान उसने बताया कि बैगेज में रायफल नहीं, केवल उसके बैरल हैं। 

कस्टम के अधिकारियों ने इसकी रसीद तक देखने की जहमत नहीं की और उसे जाने दिया। जब एसटीएफ ने अब्बास के शस्त्र लाइसेंस पर सात असलहे खरीदने की जांच शुरू की तो पता चला कि स्लोवानिया से वापस आने पर अब्बास ने दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग अधिकारी के पास जाकर अपने लाइसेंस पर ब्लॉजर रायफल दर्ज करायी थी। 

इससे पहले वह ग्लॉक पिस्टल समेत कुछ अन्य असलहे भी ला चुका है। इसके बाद एसटीएफ ने एयरपोर्ट के कस्टम अधिकारियों और अब्बास के लाइसेंस पर शस्त्रों का ब्योरा दर्ज करने वाले दिल्ली पुलिस के अफसरों को तलब करना शुरू कर दिया। एसटीएफ ने तत्कालीन कस्टम सुप्रीटेंडेंट कुलदीप से गत 23 फरवरी को पूछताछ की थी।

मातहतों को ठहराया जिम्मेदार

एयरपोर्ट के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम विद्याधर बी. पचौरे ने एसटीएफ के अधिकारियों से कहा कि अब्बास अंसारी के असलहे की क्लीयरेंस की फाइल सुप्रीटेंडेंट कुलदीप ने उनको दी थी। उन्होंने कुलदीप पर भरोसा कर फाइल पर दस्तखत कर दिया था। उन्होंने माना कि इस तरह असलहों की क्लीयरेंस देने में बड़ी चूक हुई है।