कोटा। बैंक लोन लेने के लिए खोले गए खाते में एक साल में करीब 10 करोड़ का लेन-देन हो गया। बैंक अकाउंट में खातेदार के मोबाइल नम्बर भी बदल डाले, जिससे खातेदार के पास ट्रांजेक्शन के मैसेज आना बंद हो गए। एक साल बाद करोड़ों रुपए के लेन-देन का पता चला तो खातेदार ने बैंक व पुलिस में शिकायत की। बैंक भी यह हीं बता पा रहा कि यह ट्रांजेक्शन किसने किया और मोबाइल नम्बर कैसे, कब और किसने बदले।

छावनी निवासी दिव्यांग फोटोग्राफर महेन्द्रसिंह सोलंकी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसे लोन की जरूरत थी। परिचित महावीर नगर निवासी गजेन्द्र सिंह बैंकों में खाता खुलवाने का काम करता है। उसने कहा कि लोन लेना है तो खाता खुलवा देता हूं और लोन भी दिलवा दूंगा। गजेन्द्र सिंह ने 8 अक्टूबर 21 को विज्ञान नगर स्थित इंडसइंड बैंक में 10 हजार जमा करवाकर खाता खुलवा दिया और डेबिट कार्ड व चेक बुक सिबिल सुधारने के नाम पर खुद रख ली।

सेना में भर्ती कराने के नाम पर नौ लाख रुपए की धोखाधड़ी

खाते में मोबाइल नम्बर दूसरे लिंक कर दिए : लेनदेन के मैसेज नहीं आने के बारे में बैंक कर्मचारियों ने बताया कि इसमें दूसरा नम्बर लिंक है। बैंक कर्मचारियों को शुरुआती मैसेज दिखाए तो बताया कि आपने ही दूसरा नम्बर लिंक करवाया होगा, जबकि उसने नम्बर नहीं बदलवाया।

एक साल बाद भी पास नहीं कराया लोन

महेन्द्र ने बताया कि गजेन्द्र ने एक साल बाद तक भी लोन पास नहीं करवाया तो वह बैंक चला गया। बैंक जाने पर पता चला कि खाते में 10 लाख रुपए जमा हैं और करोड़ों रुपए का लेनदेन हो चुका है। बैंक अधिकारियों से कहा कि मैं लोन के लिए चक्कर काट रहा हूं, इतनी राशि का लेन-देन कहां से करूंगा। खाते में जमा 10 लाख रुपए भी मैंने जमा नहीं करवाए। बैंक अधिकारियों से पूछा कि यह लेन-देन किसने किया तो उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। बैंक में ट्रांजेक्शन देखे तो करीब 10 करोड़ का लेन-देन मिला। इसके बाद विज्ञान नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।

दो माह बाद राशि जमा होने का मैसेज मिला

महेन्द्र ने बताया कि खाता खुलवाने के दो माह बाद 50 हजार रुपए जमा कराने का मैसेज मिला तो गजेन्द्र से पूछा कि लोन के पैसे आ गए क्या? इस पर गजेन्द्र ने कहा कि पैसे गलती से जमा हो गए। इसके बाद दो तीन मैसेज फिर मिले, जिसमें कभी 87 हजार तो कभी 13 लाख रुपए मेरे खाते में जमा का मैसेज आया, जबकि मैंने कोई पैसा जमा नहीं कराया। जब खाता बंद कराने को कहा तो गजेन्द्र ने बाहर होने की बात कही और आते ही खाता बंद करवाने का वादा किया। इसके बाद फोन पर लेन-देन के मैसेज आना बंद हो गए।

आरबीआई ने खाता फ्रीज किया

आरबीआई की ओर से महेन्द्र सिंह के खाते को फ्रीज किया गया है। मुम्बई से सेन्ट्रल टीम भी जांच-पड़ताल कर रही है। साथ ही, पुलिस को भी खाते के लेनदेन की डिटेल दी है। इस मामले में जांच चल रही है।