अजमेर | बाड़मेर जिले के राजकीय अस्पताल के ब्लड बैंक सेंटर के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दो साल की मासूम की जान चली गई। मासूम के परिजन 4 घंटे तक ब्लड बैंक सेंटर के आगे रोते रहे बिलखते रहे और गुहार लगाते रहे, लेकिन ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने ब्लड नहीं दिया। पूरे घटनाक्रम के बाद अस्पताल प्रशासन कर्मचारियों का बचाव करता हुआ नजर आया।अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती रुबीना पुत्री जमील खान निवासी तिरसिंगड़ी की सुबह करीब पांच बजे हालत बिगड़ने के बाद परिजन उसे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वीरेंद्र सिंगारिया के घर लेकर पहुंचे थे। डॉक्टर ने मासूम की गंभीर हालत व ब्लड की कमी को देखते हुए अर्जेंट चैरिटी ब्लड की स्लिप बनाकर ब्लड बैंक सेंटर से ए पॉजिटिव ब्लड लेकर आने की बात कही।

परिजनों के ब्लड बैंक पहुंचने पर कर्मियों ने कागजी कार्रवाई का हवाला देते हुए लौटा दिया। परिजनों ने तीन चार चक्कर निकालें।इस दौरान डॉक्टर से मोबाइल पर बात करवाई, लेकिन कार्मिकों ने ब्लड नहीं दिया। बालिका की मौत के बाद परिजनों ने ब्लड बैंक सेंटर के आगे हंगामा किया। इस दौरान सारा घटनाक्रम ब्लड सेंटर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ।इमरजेंसी होने पर डॉक्टर की ओर से रिक्वेस्ट फॉर्म भर अर्जेंट चैरिटी लिखा जाता है। इस मामले में भी डॉक्टर ने पर्ची पर लिख कर दिया था, लेकिन परिजनों के पहुंचने पर ब्लड बैंक सेंटर के प्रभारी ने फोरम पर दोबारा डॉक्टर के हस्ताक्षर करवाने के लिए लौटा दिया।

इसके बाद परिजन दोबारा हस्ताक्षर युक्त फॉर्म लेकर आए, लेकिन फॉर्म में कमी निकालते हुए उन्हें लौटा दिया। इसके बाद परिजनों ने डॉक्टर से कार्मिकों की मोबाइल पर बात करवाई, लेकिन कार्मिकों ने क्रॉस मैच का हवाला देते हुए ब्लड नहीं दिया।पूरे घटनाक्रम के बाद राजकीय अस्पताल के पीएमओ डॉ बीएल मंसूरिया व ब्लड बैंक प्रभारी डॉ स्वेता अमरनिल का कहना है कि ब्लड देने से पहले मरीज के ब्लड से क्रॉस मैच जरूरी है इस प्रक्रिया में 45 मिनट और ब्लड के रेफ्रिजरेटर में ठंडा होने के चलते सामान्य तापमान में लाने के लिए 10 से 15 मिनट का समय लगता है ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि 1 घंटे में ब्लड दिया जा सकता था लेकिन मरीज को 4 घंटे बाद भी ब्लड क्यों नहीं दिया गया।