सात वर्ष पहले जब स्मार्ट सिटी के लिए 100 शहरों में जालंधर का चयन हुआ तो हर शख्स शहर की खूबसूरती का सपना संजोने लगा। खेल नगरी के रूप में विख्यात जालंधर में नए प्रोजेक्ट लगने तो दूर शहर के लिए अति जरूरी स्पोर्ट्स हब पर भी काम नहीं शुरू हो पाया है। शहर के सुंदरीकरण प्रोजेक्टों को भी घोटालों का ग्रहण लग गया। न सिटी स्मार्ट हुई और न ही हालात बदले। इसी का नतीजा है कि स्मार्ट सिटी की 100 शहरों की रैंकिंग में जालंधर लुढ़ककर 86वें नंबर पर आ गया है। वर्ष 2016 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए जालंधर का चयन होने के बाद जो विजन शहर के विकास के लिए दिया गया था, उससे नगर निगम पूरी तरह से भटक चुका है। यही नहीं, स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जो बड़े प्रोजेक्ट तय किए गए थे, उनमें से एक भी सिरे नहीं चढ़ पाया। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में करीब 1600 करोड़ रुपये की बर्बादी की गई है। दरअसल, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से नेताओं को दूर रखने का प्रविधान भी रखा गया था, लेकिन नेता इससे दूर नहीं रह सके। स्मार्ट सिटी के लिए जारी होने वाले फंड का इस्तेमाल नेताओं ने अपने वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए किया। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को ग्रहण लग गया। हालात यह है कि स्मार्ट सिटी के अधिकतर प्रोजेक्टों की डेडलाइन पार हो चुकी है। करीब 64 प्रोजेक्ट विवादों के घेरे में हैं। पंजाब सरकार ने इनकी विजिलेंस जांच भी शुरू दी है। केंद्र सरकार भी इन प्रोजेक्टों को लेकर नाराज है।

चौकों के सुंदरीकरण को लगा घोटालों का ग्रहण

स्मार्ट सिटी कंपनी के फंड से पैन सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के 11 चौकों का सुंदरीकरण किया जाना था। इसके लिए 20.32 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था लेकिन शुरुआत से पहले इसे नजर लग गई। इस प्रोजेक्ट को लेकर घोटाले के इतने आरोप लगे कि आठ चौकों पर नौ करोड़ रुपये खर्च करने के बाद काम बीच में ही रोकना पड़ा। सुंदरीकरण के नाम पर तोड़े गए ये चौक अब शहर पर खूबसूरती पर दाग साबित हो रहे हैं। माया तो घोटालेबाज ले गए लेकिन प्रोजेक्ट रुकने से कपूरथला चौक और वर्कशाप चौक की काया बिगड़ गई है। निर्माण में मैटीरियल घटिया क्वालिटी का प्रयोग हो रहा है। बीएमसी चौक, गुरु अमरदास चौक में काफी गड़बड़ी मिली थी।

आखिर स्पोर्ट्स हब बनेगा कब?

जालंधर में 2008 में शहर को स्पोर्ट्स हब बनाने की बात चली और आगे की योजना बनाए बिना ही बर्ल्टन पार्क स्थित क्रिकेट स्टेडियम को तोड़ दिया गया। कोई विशेष प्लानिंग नहीं होने के कारण यह प्रोजेक्ट रुक गया। आठ वर्ष बाद 2016 में जब शहर का स्मार्ट सिटी मिशन के लिए चयन हुआ तो स्पोर्ट्स हब का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी। स्पोर्ट्स हब का पहला प्रोजेक्ट करीब 550 करोड़ रुपये का बनाया गया, लेकिन कंपनियों ने काम से हाथ खींच लिया। अब स्मार्ट सिटी के तहत 77 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया हैं। इसका भी टेंडर जारी हुए करीब एक वर्ष होने को है, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया है। न ही जल्द शुरू होने की कोई उम्मीद है।