बेड़ो प्रखंड के खुरा टोली गांव में शादी की खुशियां मातम में उस समय बदल गईं, जब बेटी की डोली उठने से पहले मड़वा के ठीक एक दिन पहले पिता की हाथी के कुचलने से मौत हो गई। जैसे ही किसान की मौत का पता चला तो परिवार में कोहराम मच गया। शादी वाले घर में हुए इस हादसे के बाद से मातम पसर गया है। यहां स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

किसान की मौत से गांव में मातम का माहौल

घटना थाना क्षेत्र की हरिहरपुर जामटोली पंचायत के खुराटोली गांव के मसना दरहागढ़ा के समीप घटी। शनिवार की रात लगभग ग्यारह बजे अपने बैल को खोजने गए 55 वर्षीय किसान मरतू मुंडा को एक विशालकाय जंगली हाथी ने पटक-पटक कर मार डाला।

जानकारी मिलते ही रविवार की सुबह पंचायत की मुखिया लक्ष्मी कोया, पूर्व मुखिया सुनील कच्छप व वन विभाग के वनरक्षी सुभाष चंद्र प्रामाणिक, भूपेंद्र प्रसाद, रविशंकर महली व संजय भगत मौके पर पहुंचे। किसान की मौत से पूरे गांव में मातम छा गया है।

मृतक के स्वजन को 25 हजार रुपये की सहायता राशि

इधर, जंगली हाथी द्वारा लगातार जन-धन की हानि से ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। वन विभाग के अधिकारियों ने मृतक के स्वजन को तत्काल 25 हजार रुपये सहायता राशि दी।

स्वजन ने बताया कि शनिवार की शाम तक एक बैल वापस नहीं लौटा, तो उसकी खोज में मरतू मुंडा नदी की ओर निकल गए।

तब तक उसे पता नहीं था की जंगली हाथी का इस क्षेत्र में आगमन हो चुका है। इसी दौरान अचानक एक जंगली हाथी ने उसपर हमला कर दिया। इससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई।

घर में मृतक की पत्नी पाल्हो मुंडाईन, उसके तीनों पुत्र रामपाल मुंडा, विजय मुंडा तथा प्रकाश मुंडा व बेटियों शनियारो एवं जीतन की रो-रो कर बुरा हाल है।

जंगली हाथी मचा रहे गांव में तांडव

प्रति वर्ष लाखों की बर्बादी हाथियों द्वारा ग्रामीणों के प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये के घर व फसल को बर्बाद कर दिया जाता है। सबसे दुखद बात यह है कि हाथियों के खौफ से ग्रामीणों को निजात दिलाने के लिए प्रशासन एवं वन विभाग द्वारा कोई सार्थक पहल अब तक नहीं की जा रही है।

हाथी ने जमकर मचाया उत्पात खुरा टोली गांव में शनिवार की रात एक जंगली हाथी ने जमकर उत्पात मचाया। हाथी ने मृतक मरतू मुंडा सहित सात किसानों मनोज मुंडा, लोहरा उरांव, गइंद्र मुंडा, शालू मुंडा, बुतरू मुंडा, मोडल मुंडा की गेहूं की फसल को खाकर व रौंदकर कर बर्बाद कर दिया है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग प्रत्येक वर्ष अपने खेत में हाड़-तोड़ मेहनत करके खून-पसीने की कमाई से फसल लगाते हैं, मगर हाथियों द्वारा हर साल फसलों को रौंद दिया जाता है।

ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग सिर्फ हाथी भगाने के नाम पर खानापूर्ति करता है। जिस समय हाथी नुकसान पहुंचाता है, उसी समय वन कर्मियों द्वारा ग्रामीणों से सहानुभूति दिखाई जाती है।