एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित रहता है. हर माह में दो एकादशी का व्रत रखा जाता है. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगता है.

वहीं, ज्योतिषविदों की मानें तो इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा आराधना की जाए तो भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है और भक्तों को मरने के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. देवघर के ज्योतिषाचार्य ने बताया कि षटतिला एकादशी व्रत क्यों महत्वपूर्ण है और इस दिन क्या करना चाहिए.

खास है मान्यता
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि हर साल माघ महीने की पहली एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल 6 फरवरी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और श्वेत तिल का भोग लगाया जाता है. साथ ही इस दिन श्वेत तिल का दान भी किया जाता है. मान्यता है कि षटतिला एकादशी के दिन जो जितना तिल का दान करता ,है उतने हजार वर्ष वह स्वर्ग में वास करता है.

अमृत योग का हो रहा निर्माण
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी को शाम 6 बजकर 12 मिनट से शुरू होने जा रही है और समापन अगले दिन यानी 6 फरवरी शाम 7 बजकर 14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 6 फरवरी को रखा जाएगा. वहीं, षटतिला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहने वाला है. इस समय में अमृत योग का निर्माण होने वाला है और पूजा के लिए अमृत योग बहुत ही शुभ माना जाता है.

षटतिला एकादशी के दिन करें यह कार्य
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि षटतिला एकादशी के दिन भक्त को सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करने के बाद तिल का भोग लगाना चाहिए और तिल का दान भी करना चाहिए. वहीं इस एकादशी के दिन रात को तिल से ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप कर हवन करना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. साथ ही कष्ट से मुक्ति मिलती है.