जयपुर। मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण होते हुए मकर रेखा में प्रवेश कर जाता है। इसीलिए मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दान-पुण्य और गौ सेवा का विशेष महत्व बताया गया है। इस अवसर पर गौशालाओं पर गौ सेवा करने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है।

दौसा के गौ सदन मंत्री रमेश मानपुरिया बताते हैं कि संक्रांति के दिन गौ माता की सेवा करने का विशेष महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है। मकर संक्रांति के अवसर पर सदन द्वारा इस दिन विशेष तौर पर तमाम गौ वंश के लिए बाजरा, गुड़ और काकडे़ का मिक्स खिचड़ा बनाकर गौवंश को खिलाया जाएगा। 


श्री पिंजरापोल गौशाला जयपुर के अधीन चलने वाले गौ सदन दौसा में गौवंशों को पौष्टिक खिचड़ा खिलाने की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। सर्दियों में यहां गुड़ के साथ बाजरे का खिचड़ा लगातार बनाकर गायों को खिलाया जाता है। गौ सदन मंत्री रमेश मानपुरिया ने बताया कि गौ सदन में गायों सेवा करना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। इसके चलते दुर्घटनाग्रस्त गौवंश को यहां लाकर बेहतर तरीके से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उसके रखरखाव की भी समुचित व्यवस्था की गई है।

इसके अलावा गौकशी के लिए जाने वाले गौवंश को भी पुलिस द्वारा पकड़कर इसी गौ सदन में रखा जाता है। गौशाला में मौजृद गौरक्षक भी समय-समय पर अपनी से इच्छा से गायों की साज-संभाल करते हैं।

गौ सदन दौसा में जन्मोत्सव, शादी व घर में अन्य आयोजनों के अवसर पर गौमाता की विशेष सेवा और दान करने के लिए गौशाला ने दान राशि निर्धारित की हुई है। अपनी श्रद्धानुसार कोई भी व्यक्ति कुल 8400 रुपये देकर एक गाय को एक वर्ष के लिए गोद लेकर उसकी सेवा कर सकता है। साथ ही दुधारू गायों को गौशाला में प्रवेश देकर, खिचड़ा खिलाने हेतु 1100 रुपये व सवामणी के लिए 2100 रुपये की मासिक सहायता देकर भी लोग इस गौ आस्था धाम से जुड़े हैं। गौग्रास के अतिरिक्त पक्षियों के लिए दाने की व्यवस्था भी दानदाताओं द्वारा की जा सकती है।

इस मौके पर गौ सदन मंत्री रमेश मनपुरिया ने जनता से अपील करते हुए कहा है कि घरों, सड़कों, गलियों एवं बाजारों में प्लास्टिक की थैलियों में खाद्य पदार्थ नहीं फेंकें। गौ वंश के लिए इसे खाना हानिकारक है और यह उन्हें मृत्यु की ओर ले जाता है।