नववर्ष की शुरुआत हो चुकी है. वहीं, मकर संक्रांति को नववर्ष का पहला त्यौहार माना जाता है. मकर संक्रांति देशभर में अलग-अलग नाम के साथ और अलग-अलग परंपराओं में हसी खुशी से मनाई जाती है. उत्तर भारत में खिचड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ देना बेहद शुभ माना जाता है. इस साल मकर संक्रांति को तिथि को लेकर थोड़ा सा कन्फ्यूजन चल रहा है. आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानें इस पर्व की सही तिथि.

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि मकर संक्रांति का पर्व तभी मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस राशि परिवर्तन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति साल का सबसे पहला पर्व माना जाता है. साथ ही बताया कि मकर संक्रांति का पर्व देश के कोने-कोने में किसी ना किसी रूप में जरूर मनाया जाता है. फिर चाहे वह दक्षिण भारत में पोंगल हो, उत्तर भारत में खिचड़ी हो, गुजरात में उत्तरायण हो या फिर पंजाब में लोहड़ी. कई सालों से मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा था, लेकिन इस साल तिथि में बदलाव हुआ है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.

कब कर रहा है सूर्य मकर राशि में प्रवेश
पंडित नंदकिशोर मुद्गल के मुताबिक, सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. दरअसल सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में गोचर करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. इस साल सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी दिन सोमवार चतुर्थी तिथि को सुबह 09 बजकर 13 मिनट में जाएंगे, तभी से मकर संक्रांति की शुरुआत होगी.
सूर्य देव और शनि देव की बरसेगी कृपा
पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान कर तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें काले तिल और गुड़ का टुकड़ा मिलकर भगवान सूर्य को अर्घ देकर सूर्य मंत्रों का जाप करें. इससे सूर्य देव और शनि देव की दोनों की कृपा बरसेगी. आपकी हर मनोकामना पूरी होगी.