भोपाल । प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित नर्मदापुरम, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, सागर संभाग के जिलों में भारी बारिश होने की संभावना है। इस दौरान कहीं-कहीं अति भारी बारिश  भी हो सकती है। रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलों में मध्य स्तर की बारिश  होने के आसार हैं। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक रुक-रुककर बारिश  का सिलसिला एक सप्ताह तक बना रह सकता है। गहरा कम दबाव का क्षेत्र पूर्वी मध्य प्रदेश में आ गया है। मानसून द्रोणिका भी इस मौसम प्रणाली से होकर जा रही है।उधर, शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक पचमढ़ी में 146 मिमी यानी करीब छह इंच वर्षा हुई है, जो कि नौ घंटे में दर्ज की है। बैतूल में 89, नर्मदापुरम में 87, सिवनी में 65, छिंदवाड़ा में 55, भोपाल में 47, नरसिंहपुर में 38, रायसेन में 28, सागर में 27, इंदौर में 12, जबलपुर में 10.2, मलाजखंड एवं रतलाम में 10, सतना एवं सीधी में आठ, रीवा में सात, दमोह में छह, खंडवा में पांच, मंडला में चार, खजुराहो में 1.2, उज्जैन में एक, धार में 0.5, गुना में 0.2 मिलीमीटर वर्षा हुई। धान की फसल के लिए बारिश अमृत बन गई है। उधर, कृषि विज्ञानियों ने किसानों से खेतों में पानी के निकास की व्यवस्था करने की सलाह दी है। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक उत्तरी छत्तीसगढ़ पर बना गहरा कम दबाव का क्षेत्र वर्तमान में पूर्वी मप्र पर सक्रिय हो गया है। मानसून द्रोणिका बीकानेर, कोटा से पूर्वी मप्र पर बने कम दबाव के क्षेत्र से होकर संबलपुर, दीघा से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। एक अन्य द्रोणिका दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान से लेकर कम दबाव के क्षेत्र से होकर उत्तरी ओडिशा तट तक जा रही है। एक अन्य द्रोणिका दक्षिणी कोंकण से कम दबाव के क्षेत्र से होकर मध्य महाराष्ट्र तक बनी हुई है। इसके अतिरिक्त दक्षिणी हरियाणा में हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अलग-अलग स्थानों पर बनी इन मौसम प्रणालियों के असर से पूरे मप्र में झमाझम वर्षा होने की संभावना बन गई है।इस सीजन में एक जून से लेकर शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे तक मप्र में 805.7 मिलीमीटर वर्षा हुई है। जो सामान्य वर्षा (894.4 मिमी.) की तुलना में 10 प्रतिशत कम है। पूर्वी मप्र में 926.5 मिमी. वर्षा हुई है। जो सामान्य वर्षा (983.2 मिमी.) के मुकाबले छह प्रतिशत कम है। पश्चिमी मप्र में 712.9 मिमी. वर्षा हुई है। जो सामान्य (826.1 मिमी.) की तुलना में 14 प्रतिशत कम है। मानसून ब्रेक की स्थिति बनने के कारण पांच सितंबर को मप्र में औसत से 19 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी, लेकिन 10 दिन से रुक-रुककर जारी वर्षा के कारण अब सामान्य से सिर्फ 10 प्रतिशत कम वर्षा रह गई है। कृषि विशेषज्ञ एवं पूर्व संचालक कृषि डा. जीएस कौशल ने बताया कि धान की फसल के लिए यह वर्षा अमृत की तरह है। उधर, लगातार वर्षा होने से खेतों में पानी भरने लगा है। इससे सोयाबीन, उड़द, मूंग आदि की फसल के गलने का खतरा है। इस वजह से किसानों को चाहिए कि वह खेतों में पानी के निकास की व्यवस्था करें।