भोपाल । प्रदेश के देवास जिले के इकलेरा गांव में मिले बीमार तेंदुए को सोनकच्छ के जंगलों में भेज दिया गया है। तेंदुए में कैनाइन डिस्टेंपर संक्रमण की पृष्टि होने के बाद इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय ने यह कदम उठाया है। प्राणी संग्रहालय के शेष जानवरों को संक्रमण से बचाने के लिए तेंदुए को चिड़ियाघर से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया गया। रविवार को देवास वन विभाग का दल तेंदुए को वापस लेकर चला गया। अब तेंदुए को ऐसे स्थान पर रखा जाएगा, जहां बाकी वन्य प्राणी उसके संपर्क में न आए। वन अफसरों ने सोनकच्छ वनक्षेत्र को आइसोलेशन के लिए बेहतर बताया है, जहां पशु चिकित्सक व वनकर्मी उसकी निगरानी कर सकें। खून-लार व मल-मूत्र की मेडिकल रिपोर्ट में तेंदुए को कैनाइन डिस्टेंपर से संक्रमित बताया। वायरस ने मस्तिष्क को काफी प्रभावित कर दिया। न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर की वजह से तेंदुआ आक्रामक स्वभाव और याददाश्त भूल चुका है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद पशु चिकित्सकों ने तेंदुए का बचना मुश्किल बताया। हवा में फैलने वाले इस वायरस से बाकी वन्य प्राणियों को काफी खतरा रहता है। चिड़ियाघर के बाकी जानवर वायरस की चपेट में न आए, इसके लिए रविवार को आनन-फानन में तेंदुए को शिफ्ट कर दिया गया। दोपहर 3 बजे देवास वन विभाग की टीम तेंदुए को लेने पहुंची। देवास रेंजर देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि सोनकच्छ वनक्षेत्र में तेंदुए को आइसोलेटेड किया जाएगा। वहां पशु चिकित्सकों की टीम निरंतर तेंदुए का उपचार करेगी। वैसे वन विभाग की टीम भी एक-दो दिन में तेंदुए की हालत देखने आएगी। चिड़ियाघर प्रशासन उसका उपचार करने में लगा था। डाक्टरों का ट्रीटमेंट ही आगे जारी रखेंगे। चिड़ियाघर प्रभारी डा. उत्तम यादव ने कहा कि वायरस का पता लगने के बाद तेंदुए को शिफ्ट करने के लिए वन अफसरों से चर्चा की, क्योंकि अन्य जानवरों को वायरस से खतरा है। यह वायरस श्वान में पाया जाता है। वैसे संक्रमित श्वान को खाने के बाद ही तेंदुआ बीमार हुआ है।