10 मई 2020 को राजस्थान के अलवर जिले में एक 16 साल की लड़की को उठाकर तीन युवक घर ले गए। जिसके बाद नाबालिग के साथ बारी- बारी से गैंगरेप किया और वीडियो भी बना लिया। आरोपियों की दरिंदगी के बाद पीड़िता गर्भवती भी हो गई, इस हैवानियत का आघात उसे ऐसा लगा कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। ऊपर तस्वीर में पैर बंधे दिख रही लड़की वही गैंगरेप पीड़िता है। घटना के तीन साल बाद भी उसके दिलो-दिमाग में दरिंदगी की खौफनाक यादें ताजा हैं। उसे कभी भी पैनिक अटैक आ जाता है। अस्पताल स्टाफ ही नहीं कभी-कभी वह माता-पिता को भी नहीं पहचान पाती है। उन्हें मारने और काटने का प्रयास करती है। बेसुध हालत में बड़बड़ाती है कि उनके हाथ-पैर काट दो उन्हें मार दो। तीन साल से माता-पिता अपनी बेटी को लेकर अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। उनकी बस एक ही इच्छा है कि मेरी बेटी का सही से इलाज हो जाए और वह जल्द ठीक हो जाए। आइए इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं...।

वो दरिंदगी जिसे नहीं भुला पाई पीड़िता

10 मई 2020 को 16 साल की अंजू (बदला हुआ नाम)  अपने अंकल के घर जा रही थी। रास्ते में तीन युवकों ने उसे अगवा कर लिया और सूनसान इलाके में मौजूद एक कमरे में ले गए। जहां तीनों ने बारी-बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया और वीडियो भी बना लिया। विरोध करने पर अंजू का सिर फर्श पर पटक दिया, जिससे वह घायल हो गई। घटना के बाद तीनों आरोपी अंजू को बेसुध हालत में एक डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर फेंक कर फरार हो गए। होश आने पर उसने परिजनों के बारे में जानकारी दी, अस्पताल में भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि अंजू के साथ गैंगरेप हुआ है। इसके बाद से ही अंजू का दिमागी संतुलन बिगड़ गया। वह बार-बार बेसुध हो जाती है। पुलिस ने केस दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू की। मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। एक आरोपी नाबालिग था, जिसे निरुद्ध किया गया था। चार्जशीट में पुलिस ने 40 दस्तावेज पेश किए और 22 लोगों को गवाह बनाया। जिसके आधार पर कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने एक आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई और 33 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। वहीं, नाबालिग आरोपी की सुनवाई जुवेनाइल कोर्ट में चल रही है। तीसरे आरोपी को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया गया। गैंगरेप के एक आरोपी को सजा हो गई, वो जेल में अपनी जिंदगी काट रहा है। दूसरा आरोपी बरी हो गया जबकि तीसरे नाबालिग आरोपी का केस अभी चल रहा है। लेकिन, तीन साल तीन महीने बाद भी पीड़िता उस दिन को भुला नहीं पाई है। दरिंदगी ने अंजू से उसकी हसीन जिंदगी छीन ली। 
  
कभी भी चिल्लाने लगती है बचाओ-बचाओ

पीड़िता के पिता ने बताया कि दरिंदगी की घटना के बाद से ही वह बेसुध है। कभी-कभी थोड़े दिन के लिए सामान्य हो जाती है, लेकिन जैसे ही उसे गैंगरेप की घटना याद आती है, फिर वही हरकतें करने लगती है। अस्पताल के स्टाफ को मारने और काटने के लिए दौड़ती है। कई बार तो वह मुझ पर भी हमला कर देती है। कभी भी नींद में बचाओ-बचाओ चिल्लाने लग जाती है। नींद हमें बड़बड़ाती है कि उनके हाथ-पैर काट दो, उन्हें मार दो, वे दरिंदे हैं। उन्होंने बताया कि कई बार तो हम बेटी को खाना भी नहीं खिला पाते हैं, उसे भूखे ही रखना पड़ता है।  

जिसे डॉक्टर बनना था वह खुद डॉक्टरों से घिरी

अंजू के पिता ने बताया कि घटना के समय बेटी 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी। वह पढ़ने में काफी होशियार थी। हमेशा 80 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लाती थी। कहती थी पढ़ाई कर डॉक्टर बनना है और खूब नाम कमाना है। लेकिन, बीते तीन साल से वह खुद डॉक्टरों के चक्कर लगा रही है। उसकी पढ़ाई छूट गई, सपने भी टूट गए। कई बार तो वह अपनी मां और भाइयों को भी नहीं पहचानती है। उन्हें मारने और काटने की कोशिश करते हैं। अंजू की ऐसी हालत देखकर सभी परेशान हो जाते हैं।