प्रदेश के तीन जिलों शिमला, मंडी व सोलन में भारी बारिश से सड़कें सबसे अधिक बाधित हुई है। मंडी जिला में 323 सड़कें, शिमला में 234 और सोलन में 93 सड़कें पिछले चौबीस घंटों से बाधित हैं। जिसके कारण इन जिलों में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से बाधित रही।लगातार बारिश होने के कारण कई स्थानों पर सड़कें धंसने और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई।

मौसम विभाग ने अगले चौबीस घंटों के लिए राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में आसमान पर बादल छाए रहेंगे। मंडी, सोलन, कांगड़ा, हमीरपुर व ऊजा जिलों में अधिक बारिश होने की संभावना व्यक्त की गई है।प्रदेश में 4285 ट्रांसफार्मर खराब रहे और 889 पेयजल योजनाओं से पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी। मंडी जिला के बल्ह घाटी में अभूतपूर्व बाढ़ का कहर था तो जिला के आठ मंडल अंधेरे में डूबे हुए थे।

अधिकांश क्षेत्रों में पेड़ गिरने और भूस्खलन के कारण विद्युत आपूर्ति बाधित रही।मंडी जिला में 563 पेयजल योजनाओं से पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी और शिमला जिला में 105 पेयजल योजनाएं अवरुद्ध होने के कारण जल संकट रहा। गत रात्रि से ग्यारह बजे तक राजधानी शिमला में बारिश थमी हुई है। आसमान में बादल हैं और बादलों के बीच में से सूरज की किरणें निकल रही हैं।

जनजातीय लाहुल-स्पीति जिला में एनएच-505 ग्रामफू से लेकर छोटा दड्डा के बीच में बाधित है। मंडी-कुल्लू एनएच-21 बाधित है। प्रदेश के दूसरे जनजातीय जिला किन्नौर में खाब पुल भूस्खलन के कारण बाधित है। प्रदेश के विभिन्न भागों में बाधित चार एनएच को खोलने का कार्य चल रहा है। गत राेज चंडीगढ़-शिमला एनएच को छोटे वाहनों के आने-जाने के लिए खोल दिया गया था।

सोलन जिला में हुई भारी बारिश की वजह से यातायात व्यवस्था ठप है। जिला में अभी भी 115 मार्ग बंद पड़े हैं। हालांकि लोक निर्माण विभाग ने सड़कों को खोलने का कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन बारिश की वजह से इतना अधिक भू-स्खलन हुआ है कि इसे हटाने में अभी कई दिनों का समय लग सकता है।