नई दिल्ली । ग्रामीण विकास मंत्रालय और आईडब्ल्यूडब्ल्यूएजीई ने मिलकर नयी दिल्ली में लैंगिक संसाधन केन्द्र पर दो दिवसीय परामर्शक कार्यशाला का आयोजन किया। ग्रामीण विकास मंत्रालय में अपर सचिव चरणजीत सिंह ने कहा कि 2016 से ही दीनदयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई) - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में महिलाओं की आवाज, पसंद और एजेंसी को मजबूत बनाने के लक्ष्य के साथ कार्यक्रम में ही लैंगिक मुख्यधारा के लिये लक्षित हस्तक्षेप रहा है। लैंगिक विशेष पात्रता और अधिकारों से जुड़े मामलों पर प्रतिक्रिया के लिये लैंगिक संसाधन केन्द्र (जीआरसी) जैसा ढांचा बनाने की जरूरत महसूस की गई जिसमें अन्य विभागों के साथ जुड़े विविध दायरे के जटिल मामलों का समाधान हो सके।
संयुक्त सचिव स्मृति शरण ने कहा कि डीएवाई-एनआरएलएम ने देश में एक क्रांति की शुरूआत कर दी है, यह जिस बदलाव के रास्ते पर बढ़ रहा है वह महिला नेतृत्व और महिला स्वामित्व वाले संस्थानों का सृजन करने के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने अपने संबोधन में डीएवाई-एनआरएलएम कार्यक्रम के दो बुनियादी सिद्धांतों - ग्रामीण गरीब महिलाओं का सामाजिक सशक्तिकरण और आर्थिक सशक्तिकरण के बारे में बताया। संयुक्त सचिव ने कहा कि जीआरसी की स्थापना कार्यक्रम की एतिहासिक सफलता रही है जिससे कि डीएवाई-एनआरएलएम की महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूती मिली है। क्री यूनिवर्सिटी में एलईएडी की कार्यकारी निदेशक शेरोन बुतो ने हस्तक्षेप के लिये मुख्य तत्वों की पहचान के लिये साक्ष्य सृजन के महत्व पर जोर दिया।
कार्यशाला में सीएसओ भागीदारों और लैंगिक विशेषज्ञों के साथ ही 15 राज्यों के कुल 75 भागीदारों ने भाग लिया। कार्यशाला में परिचर्चा के दौरान जीआरसी को एक भागीदारी समूह कार्य के जरिये मजबूत बनाने के विभिन्न हिस्सों का उल्लेख किया गया। कार्यशाला में असम, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओड़ीशा, नगालैंड, बिहार, आंध्र प्रदेश, पुड्डुचेरी, राजस्थान, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और त्रिपुरा जैसे भागीदार राज्यों के गहन अनुभव को देखते हुये देश में जीआरसी को मजबूत बनाने के जरूरी प्रयासों पर पुनः जोर दिया गया।