मणिपुर के उग्रवादियों को अब 10 लाख मुआवजा देगी सरकार
इंफाल । मणिपुर की हिंसा को लेकर राज्य सरकार केंद्र सरकार और सेना के बीच अलग-अलग राय बन रही है। मणिपुर की हिंसा को लेकर सीडीएस (चीफ आफ डिफेंस स्टाफ)अनिल चौहान ने कहा, वर्तमान हिंसा का उग्रवाद से कोई लेना देना नहीं है। मणिपुर में 2 समुदाय के बीच संघर्ष के कारण यह हिंसा हुई है। उन्होंने पुणे में कहा कि हिंसा के कारण पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में थोड़ा समय लगेगा। 2020 तक मणिपुर में सेना तैनात थी। लेकिन हालत सामान्य होने पर सेना को चीन की सीमा पर भेज दिया गया था।
मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने पिछले दिनों कहा था, कि मणिपुर की हिंसा में 40 उग्रवादियों को मारकर गिरा दिया गया है। अब उन उग्रवादियों की मौत पर 10 लाख रुपए का मुआवजा, उनके परिवार को दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य की जनजातियों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
सरकार के कारण भड़का जातीय संघर्ष
मणिपुर में पिछले 3 साल से शांति स्थापित हो गई थी। मेतई तथा कुकी- नगा जनजातियों के बीच में आरक्षण को लेकर यह मुद्दा भड़काया गया। जमीन भाषा और एकाधिकार को लेकर दोनों समुदाय के बीच यह संघर्ष बड़ा पुराना है। 2020 के बाद उग्रवाद की कोई भी बड़ी घटना मणिपुर में नहीं हुई थी। पूरे मणिपुर में शांति थी। सेना और असम राइफल को वहां से हटा दिया गया था।
मेतई समुदाय को एसटी आरक्षण देने का कुकी नागा समुदाय विरोध कर रहे थे। दोनों समुदायों के बीच में पिछले कुछ महीनों में टकराव को बढ़ाने में राजनेताओं ने बड़ा योगदान दिया। मेतई समुदाय ने यह कहना शुरू कर दिया,कि कुकी -नागा मणिपुर के स्थाई निवासी नहीं है। इसके कारण दोनों ही समुदाय हिंसक हो उठे।
थानों से लूट लिए हथियार
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हिंसा के बाद मणिपुर के 6 पुलिस थानों, बटालियन कैंप से दोनों समुदाय के उग्रवादियों ने आधुनिक राइफल और कारतूस लूट लिए। जिनका उपयोग हिंसा में हुआ है। सूत्रों के अनुसार थाने से लूटी गई 500 राइफल और 6700 कारतूस ही पुलिस बरामद कर पाई है। अभी भी दोनों समुदायों के पास बड़े पैमाने पर हथियारों और कारतूस हैं। जिसके कारण बार-बार हिंसा भड़क रही है।
अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी लौटाएंगे पदक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर के दौरे पर हैं। उन्होंने हिंसा की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसी बीच ओलंपिक सिलचर मेडलिस्ट मीराबाई चानू सहित 11 अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने, मणिपुर में हुई हिंसा और खिलाड़ियों के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है। उसके विरोध में अपने पदक लौटाने की चेतावनी दी है। इसका एक पत्र भी उन्होंने गृहमंत्री को लिखा है।