नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेतृत्व रविवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय वार्षिक बैठक में इस बात पर विचार करेगा कि सामाजिक समरसता का माहौल किस तरह से बनाया जाए, लोगों को उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए और उन्हें कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए। आरएसएस के नेता सुनील आंबेकर ने बताया कि आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में इसके प्रमुख मोहन भागवत और महासचिव दत्तात्रेय होसबोले सहित 1,400 से अधिक पदाधिकारी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि आरएसएस से जुड़े 34 संगठनों के चुनिंदा पदाधिकारी भी इसमें शामिल होंगे। प्रतिनिधि सभा आरएसएस की निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है। आंबेकर ने कहा ‎कि आरएसएस की शाखाएं वास्तव में समाज में परिवर्तन लाने के केंद्र हैं और वे स्वयंसेवकों द्वारा किए गए समाज के अध्ययन के आधार पर अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में इसके लिए काम करती हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा में आयोजित तीन दिवसीय बैठक में पिछले कुछ वर्षों में स्वयंसेवकों द्वारा किए गए अध्ययनों और इस तरह के अध्ययनों के आधार पर किए गए कार्यों पर चर्चा की जाएगी। आंबेकर ने कहा ‎कि बैठक में कई सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होगी। विशेष रूप से सामाजिक सद्भाव का माहौल कैसे बनाया जाए, नागरिकों को उनके कर्तव्य निर्वहन के लिए कैसे प्रेरित किया जाए और उन्हें आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए। उन्होंने कहा कि इस दौरान शाखाओं के कामकाज की समीक्षा भी की जाएगी और भविष्य की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी।