सनातन धर्म में हर व्रत का अपना अलग महत्व होता है. लेकिन सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रत एकादशी का माना जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है.

विधि विधान के साथ एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है. हर माह के दोनों पक्षों में एकादशी का व्रत रखा जाता है.

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है. मां लक्ष्मी का नाम ही रमा है. कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है और यह एकादशी दिवाली के ठीक पहले पड़ती है. इसलिए इस एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इस साल 21 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

क्या है रमा एकादशी की महिमा?
रमा एकादशी पर माता लक्ष्मी और भवान विष्णु की पूजा-उपासना से पापों का नाश होता है. ये व्रत रखने से मृत्यु के बाद सद्गति की प्राप्ति होती है. रमा एकादशी की महिमा सिर्फ इतनी ही नहीं है. स्त्रियों के लिए यह महाकल्याणकारी है, क्योंकि इस व्रत से उन्हें सुख और सौभाग्य दोनों का वरदान मिलता है.

कैसे करें रमा एकादशी पर पूजन?
रमा एकादशी का व्रत दशमी तिथि की शाम सूर्यास्त के बाद से शुरू होता है. एकादशी तिथि के दिन जल्दी उठकर स्नान करें. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के सामने व्रत का संकल्प लें और इसके बाद विधिपूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें. शाम को भोजन ग्रहण करने के पहले उपासना और आरती करें

धन प्राप्ति का प्रयोग
रमा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण के समक्ष बैठें. उनको गोपी चन्दन अर्पित करें. इसके बाद एक विशेष मंत्र का जप करें. मंत्र होगा - "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः"

मानसिक तनाव दूर करने का उपाय
एकादशी के दिन उपवास रक्खें तो उत्तम होगा. रात के समय में श्री हरि के केशव स्वरूप की पूजा करें. उनके सामने श्री गोपाल स्तुति का पाठ करें. अच्छे स्वास्थ्य और अच्छी मानसिक स्थिति की प्रार्थना करें.