नई दिल्ली । शैक्षिक और आर्थिक स्तर पर समृद्ध माता-पिता का अपने नाबालिग बच्चों को कानूनी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने कहा है कि माता-पिता बच्चों के हित की बात कर पालन-पोषण की तमाम जिम्मेदारी संभालने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बच्चों की खातिर वे अपने रिश्ते को सही करने को तैयार नहीं हैं। अदालत ने कहा कि अगर बच्चों को लेकर माता-पिता संवेदनशील हैं तो मतभेदों को समाप्त कर नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन हालात यह है कि इनका विवाद साफ तौर पर आपसी खुन्नस के लिए बच्चों को इस्तेमाल करने वाला दिख रहा है। दिल्ली के साकेत कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी की अदालत में इस मामले में पिता की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिका में बच्चों से मिलने के अधिकार के साथ ही उनके स्कूल जाने, जन्मदिन मनाने और उनकी परवरिश में सहयोग करने की इजाजत मांगी गई है। इस पर अदालत ने दोनों पक्षों से पूछा कि अगर उन्हें बच्चों की परवरिश की इतनी ही चिंता है तो वह आपसी विवाद को समाप्त कर दें, लेकिन यहां पति-पत्नी दोनों की सहमति नहीं बनी। उलटा पति की ओर से दलील दी गई कि पत्नी को निर्देश दिए जाएं कि वह बच्चों को लेकर दिल्ली से बाहर ना जाए। इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि पूरा मामला सुनने के बाद चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि यह दंपति बच्चों के लिए हक की लड़ाई लड़ते दिख ही नहीं रहे। इनका झगड़ा तो दो दुश्मनों जैसा है। जो सिर्फ अपने हक में फैसले के लिए एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने से नहीं चूक रहे हैं।