भीलवाड़ा. एक तरफ जहां देश लगातार तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ता जा रहा है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अब भी अंधविश्वास की जड़ें गहरी हैं. भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड क्षेत्र में अंधविश्वास के जाल में फंसकर एक 15 महीने की मासूम की मौत हो गई। बच्ची करीब पांच महीने से बीमार थी और परिजन भोपाओं से उसका इलाज करा रहे थे। बुधवार को मासूम की तबियत ज्यादा बिगड़ी तो राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। गंभीर हालत होने पर डॉक्टरों ने उसे भीलवाड़ा रेफर कर दिया। अस्पताल ले जाने जाते हुए एंबुलेंस में मासूम ने दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार मामला सूलवाड़ा गांव का है। मासूम के पिता प्रभुलाल भील ने बताया, उसकी 15 महीने की नोरती पांच महीने से बीमार थी। हमने उसे भोपो को दिखाया, तंत्र-मंत्र और टोने-टोटके भी करवाया। इस दौरान भोपाओं ने बच्ची को अस्पताल ले जाने के लिए मना किया था। करीब पांच महीने से लगातार चल रहे इलाज के बाद भी बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
प्रभुलाल ने बताया, बुधवार को बच्ची की हालत ज्यादा खराब होने पर हम उसे राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गए। जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताते हुए भीलवाड़ा रेफर कर दिया। 108 एंबुलेंस से अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मौत हो गई।
बता दें कि, सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत सख्त निर्देश दिए हैं, स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर इस तरह की बीमार बच्चे-बच्चियों का सर्वे करें। इस दौरान अगर कोई बच्चा बीमारी से ग्रसित है तो उसके परिजनों को इलाज कराने के लिए प्रेरित करें। लेकिन, सरकार के निर्देश का जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिख रहा है। पांच महीने से बीमार बच्ची की मौत इसता ताजा उदाहरण है।