Holi 2023: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरे देश में होलिका मनाया जाता है. इस दिन भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका को जलाया गया था. उसी दिन से यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. होली का प्यार और उमंग का महापर्व है. इस त्योहार पर खेले जाने वाले रंग इसकी खुशी का प्रतीक है. आपसी प्रेम भाव से बिना किसी भेदभाव के एक दूसरे से गले मिलते हुए हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति ही हमारे सनातन धर्म की महान विशेषता है. होली (Holi 2023) के त्योहार पर सभी एक दूसरे को रंग-बिरंगे गुलाल लगाते हैं. आइए श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य ) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा से जानते हैं कि होली पर किन रंगों के गुलाल लगाने से आपके घर में सुख-समृद्धि आती है. 

किस रंग के गुलाल से होगा फायदा
लाल गुलाल से ठाकुर जी का तिलक करने से क्रोध नहीं आएगा घर में खुशहाली बनेगी.
पीले रंग के गुलाब से ज्ञान बुद्धि ,विद्या ,विवेक की प्राप्ति होती है. पूरे वर्ष बच्चों की पढ़ाई लिखाई में उन्नति होगी.
गुलाबी रंग के गुलाल से समाज में मान प्रतिष्ठा ,प्रेम संबंध मधुर होते हैं एवं समाज में रुतबा बढ़ता है.
सफेद चंदन या केसर के तिलक लगाने से सुख-समृद्धि या लक्ष्मी की प्राप्ति पूरे वर्ष होती है.
हरे रंग का गुलाल लगाने से उन्नति, लाभ बढ़ेगा और रोगों मे कमी आयेगी.
सात रंगों के गुलाल से सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है वह पूरे परिवार में हर प्रकार की खुशहाली बनी रहती है.
राशियों के अनुसार गुलाल रंगो और इत्र का प्रयोग
मेष और वृश्चिक - लाल, केसरिया रंग का गुलाल, हिना, केवड़ा का इत्र या सेंट
वृषभ और तुला - सफेद रंग, सफेद चंदन ,केसर ,चंपा, चमेली का इत्र यासेंट
मिथुन और कन्या - हरा रंग, गुलाल खस का इत्र या सेंट
कर्क और सिंह - सफेद,लाल, गुलाबी रंग या गुलाल, चंदन का इत्र बेला का इत्र ,सेंट
धनु और मीन - पीला रंग, गुलाल, पीला चंदन, गुलाल चमेली, हिना का इत्र या सेंट
मकर और कुंभ - नीला, काला, बैंगनी रंग या गुलाल काला भूत सेंट, कोबरा, चंदन का इत्र या सेंट
होली किन राशियों के लिए होली होगी लकी
वृषभ ,मिथुन ,सिहं,कन्या,वृश्चिक पर विशेष शुभ समय रहेगा. इन लोगों को हर प्रकार के लाभ और उन्नति की उम्मीद रहेगी. वहीं, मेष, कर्क,तुला, मकर, कुम्भ,मीन राशि वाले लोगों को नशाखोरी, जुआ, सट्टे बाजी व तेज वाहन चलाने से अति सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि इन राशि वालों के लिए यह दोनों दिन ज्यादा शुभ नहीं कहे जा सकते है.

जान लें भद्रा का समय
रक्षाबंधन और होलिका पर ज्यादातर भद्रा को लेकर समस्या पैदा हो जाती है लेकिन इस बार भद्रा फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में ही लग रही है. होलिका दहन के सुबह ही यह भद्रा खत्म हो जाएगी. सोमवार 06 मार्च को भद्रा सांय 4:17 से प्रारम्भ होकर 07 मार्च मंगलवार को प्रातः 5:15 तक रहेगी.