महालक्ष्मी व्रत भी भाद्रपद की अष्टमी तिथि से शुरू होता है महालक्ष्मी व्रत, इस दिन से शुरू होकर यह व्रत 16 दिन तक चलता है।16वें दिन सुहागिन महिलाएं विधि विधान से महालक्ष्मी का पूजन और व्रत करती हैं। श्राद्ध में अष्टमी तिथि को यह व्रत पूरे होते हैं।इस बार यह व्रत 3 सिंतबर से शुरू हो रहा है और 17 सितंबर तक चलेगा। इस बार अष्टमी तिथि 3 तारीख को लग रही है जो 4 तारीख को सुबह 10 बजे तक रहेगी। इसलिए 3 या चार सितंबर किसी भी दिन यह व्रत रका जा सकता है।इस दिन लक्ष्मी माता को सुहाग का सामान, साड़ी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, चूड़ी आदि अर्पित करनी चाहिए और उनसे अपने सुहाग और घर में सुख समृद्धि के  लिए कामना करनी चाहिए। इस व्रत में नारियल को स्वरुप मानकर महालक्ष्मी जी की प्रतिमा बनाई जाती है, अलग-अलग जगह न्रत करने की परंपराएं अलग-अलग है।इस दिन कमलगट्टे की माला का जाप करना भी अच्छा होता है, इसके अलावा श्री यंत्र की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। अधिकतर जगह सुहागिन महिलाएं ही इस व्रत को करती हैं।