फाल्गुन पूर्णिमा पर  आज 17 मार्च  को शहर में होलिका की पूजा की जाएगी। इसकी शुरुआत राजधिराज महाकाल के प्रांगण से होगी। मंदिर समिति और पुजारी परिवार द्वारा परिसर में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होलिका बनाई जाएगी। शाम को 7 बजकर 30 मिनट पर  आरती के बाद पुजारी परिवार की महिलाएं होलिका की पूजा करेंगी। इसके बाद रात 8 : 00 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन किया जाएगा। शुक्रवार को धुलेंडी पर सुबह 4:00 बजे भस्म आरती में रंगपर्व मनाया जाएगा। मंदिर के पुजारी भगवान महाकाल के साथ हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे। भगवान महाकाल को इस दिन से ठंडे पानी से नहलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसके साथ ही नियमित होने वाली पांच में से तीन आरती का समय भी बदल जाता है।

महाकाल की आरती का समय - शुक्रवार से भस्मारती सुबह 4 बजे से 6 बजे तक, बालभोग आरती सुबह 7 से 7 बजकर 45 मिनट पर,  भोग आरती सुबह 10 से 10 बजकर 45 बजे तक, संध्या पूजा शाम 5 से 5 बजकर 45 मिनट तक, संध्या आरती शाम 7 से 7 बजकर 45 बजे तक और शाम को शयन आरती की जाती है। यह 10 बजकर 30 मिनट से 11 बजे तक होगी।

इसी क्रम में आरती का यह समय 9 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा तक रहेगा। जाड़े में भगवान महाकाल गर्म पानी से स्नान करते हैं। होली को दहन के बाद गर्मी की शुरुआत माना जाता है। अगले दिन धुलेंडी से भगवान को ठंडे पानी से स्नान कराने की प्रक्रिया शुरू होती है।

शहर के सबसे पुराने होली उत्सव में से एक सिंघपुरी की कंडों की होली प्रसिद्ध है। अटल-पाताल भैरव मंदिर के सामने  वीरवार को पांच हजार गायों के गोबर से बने कांड से होलिका का निर्माण किया जाएगा। प्रदोष काल के दौरान शाम 6.52 बजे चारों वेदों के मंत्रों से होलिका की पूजा की जाएगी। शुक्रवार की सुबह 5:00 बजे वैदिक ब्राह्मण जाप के साथ होलिका दहन करेंगे।