भोपाल । मप्र पावर जनरेशन कंपनी ने विगत सात अप्रैल को सारणी ताप गृह की चार इकाईयों को रिटायर कर दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर  बंद ही करना था तो बीते चौदह महीनों से इन चारों इकाईयों के रखरखाव पर करोडों रुपया क्यों खर्च किया गया और ऐन जरुरत के वक्त इन्हें बंद क्यों कर दिया गया। कंपनी ने उम्र सीमा पूरी होने का हवाला देकर इकाईयों को बंद किया है। जबकि बिजली मामलों के जानकारों का कहना है कि यदि इकाईयों की उम्र पूरी हो चुकी थी और और उन्हें बंद किया जाना था तो पिछले 14 माह इनका रखरखाव क्यों हुआ। क्यों इन इकाईयों पर बगैर बिजली पैदा किए ही करोड़ों रुपये का व्यय किया गया। इस संबंध में मप्र पावर जनरेशन कंपनी के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सारणी सरज चौहान ने बताया कि इकाईयों को बंद करने का प्रस्ताव पहले से पेंडिंग है इसे चालू करना खतरनाक हो गया था। वहीं इसके उपकरण भी मिलना मुश्किल थे। ऐसे में एनटीपीसी के अधिकारियों की टीम भी मुआयना करने ताप गृह आई थी उसकी रिपोर्ट भी बनी। अभी इकाई क्यों बंद है इस बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं। वहीं राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि सारणी ताप गृह की इकाईयों को यदि बंद करना था तो पहले ही इसकी घोषणा होनी थी। इसके रखरखाव पर पैसा खर्च नहीं होता। बिजली मामलों के जानकार ताप गृह की मापदंड के अनुरूप 25 साल आयु सीमा होती है। कई इकाईयां उम्र के बाद भी संचालित की जाती है। हालांकि इसका रखरखाव खर्च बढ़ जाता है। वहीं उत्पादन लागत भी महंगी हो जाती है। सवाल ये है कि जब इकाई बंद करने का निर्णय अंतिम नहीं हुआ है तो इसका संचालन कर बिजली पैदा क्यों नहीं की जा रही है।प्रदेश में बिजली उत्पादन जरूरत के मुताबिक नहीं हो पा रहा है। गर्मी में हर कोई बिजली के लिए लेकर चिंतित है। इन चारों की बिजली उत्पादन क्षमता 830 मेगावाट थी। इस संबंध में मुख्य अभियंता सारणी ताप गृह आरके गुप्ता ने कहा कि कंपनी की बोर्ड मीटिंग में चार इकाईयों को रिटायर करने का निर्णय हुआ है। इस निर्णय पर अभी शासन से मंजूरी मिलना बाकी है।