अयोध्या । उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। यहां भगवान राम की मूर्ति के लिए विशेष पत्थर का इस्तेमाल होगा जिसके लिए नेपाल की गंडकी नदी से निकाली गईं विशेष शालिग्राम शिलाएं दो फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगी। राम मंदिर के अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति तक तैयार होने की उम्मीद है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल शिलाओं के साथ आ रहा है और 2 फरवरी को अयोध्या भी पहुंचेगा। हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार सीता नेपाल के राजा जनक की बेटी थीं और उनका विवाह अयोध्या के भगवान राम से हुआ था। जानकारी के मुताबिक ये दोनों शालिग्राम शिलाएं करीब 600 साल पुरानी हैं। नेपाल के मस्तंग में थोरोंग ला पर्वत दर्रे के तल पर मुक्तिनाथ घाटी में शालिग्राम के करीब गंडकी नदी से इन्हें निकाला गया है। पोखरा के करीब मिली इन शिलाओं की नेपाल के ही जनकपुर में पूजा की गई। इसके बाद अयोध्या के लिए रवाना किया गया। इसके गुरुवार को अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है।
शालिग्राम के रूप में जानी जाने वाली चट्टानों को विष्णु का अप्रतिष्ठित प्रतिनिधित्व माना जाता है। प्रकाश गुप्ता ने कहा कि इनमें से एक शिलाखंड का वजन 26 टन है जबकि दूसरे का वजन 14 टन है। उन्होंने बताया कि विहिप के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र सिंह पंकज बुधवार को नेपाल के मस्तंग जिले से दो पवित्र शिलाओं की खेप लेकर चल चुके हैं उनके गुरुवार को अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है। चर्चा ये भी है कि इन शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी यहां पहुंचेंगे। भगवान राम की मूर्ति इन्हीं शालिग्राम शिलाओं से होगा ये बात तय हो गई है। इन बेहद साख शिलाओं से मूर्ति बनाने के लिए भी मूर्तिकारों का चयन किया जाएगा। मूर्तिकार सबसे पहले अपनी एक ड्राइंग और सैंपल बनाकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को देंगे। इसके बाद जिसकी ड्राइंग और सैंपल सबसे अच्छा होगा उसे मूर्ति बनाने का जिम्मा सौंपा जाएगा।