लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल के वार्ड नंबर में भर्ती कमलेश कुमार की जांग पर पट्टी बंधी थी लेकिन दर्द नहीं हो पा रहा था। कमलेश कुमार पुलिस के सिपाही हैं, जो सात जून को भरी अदालत में मारे गए जीवा को जेल से लेकर आई टीम में शामिल थे और उन्हें भी गोली लगी थी।

दैनिक जागरण ने जब कमलेश से घटना के बारे में पूछा गया तो वह कहते हैं कि गोली चलाने वाले प्रशिक्षित था, उसका निशाना चूक नहीं रहा था। पलक झपकते ही यह घटना हो गई थी। कमलेश ने बताया कि घटना के दिन दोपहर 3:50 बजे वह अपने दस पुलिस कर्मियों के साथ घेरा बनाकर कोर्ट रूम में दाखिल हो रहे थे।

कोर्ट रूम के बायीं ओर वाले गेट के रास्ते आगे की ओर करीब पांच सात लोग खड़े थे, उन्हीं के बीच में खड़े बदमाश ने जीवा पर गोली चला दी। गोली की आवाज सुनते ही भगदड़ मच गई। हम लोग कुछ समझ पाते कि उसने दूसरी गोली दाग दी। दूसरी गोली जीवा को लगने के बाद कोर्ट परिसर में पीछे की तरफ अपनी मां के साथ आई बच्ची जो फर्श पर लेटी थी उसे लग गई। हम लोग जीवा को बचाने के लिए आगे तरफ बढ़े ही थे कि हत्यारे विजय ने जीवा पर पीछे से चार गोली और मार दी।

इन्हीं में से दो गोली उसके शरीर को पार करते हुए मुझे व एक अन्य सिपाही को लग गई। इसके बाद जीवा की सुरक्षा में आए अन्य पुलिस कर्मियों ने उसे दबोच लिया। जीवा को बचाने के लिए हमलोग अंत तक अपनी जान की बाजी लगाकर डटे रहे। खून से लथपथ मुझे व मेरे साथी सिपाही लाल मोहम्मद को अस्पताल ले जाया गया।