जब भी तुमने बदले में किसी आशा के बिना किसी के किए कुछ भी किया हो, किसी को कोई सलाह दी हो, लोगों का मार्गदशर्न किया हो, उन्हें प्रेम दिया हो और उनकी देख-भाल की हो, तब तुमने गुरु की भूमिका निभाई है। गुरु  तत्व सम्मान करने की और विश्वास करने की चीज है। तुम्हारे आस पास कितने लोग हैं जो सब के मूड, भावनाओं और दोषारोपण के बीच अटके हुए हैं। लेकिन अगर तुम्हारे पास गुरु  हैं तो तुम्हें इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और अगर पड़ेगा भी तो वह कुछ मिनटों से ज्यादा टिकने वाला नहीं।  जब व्यक्ति गुरु  तत्व के इस सिद्धांत के साथ चलता है, तब सभी सीमाएं गिर जाती हैं और वह आस पास के सभी व्यक्तियों और सारे ब्रह्मांड  के साथ एक होने का अनुभव करने लगता है। जब यह ज्ञान प्रकट  होता है, दु:ख गायब हो जाता है और आत्म-ग्लानि के लिए कोई स्थान नहीं रहता। अगर तुम्हारे भीतर आत्म-ग्लानि है, तो इसका अर्थ है अभी तक तुम गुरु  तक आए नहीं हो। गुरु  तक आने का अर्थ है श्रद्धा होना कि गुरु  हमेशा हमारे साथ है। इसका अर्थ है हमें जो भी चाहिए वो होगा और हमें रास्ता दिखाया जाएगा।  
जीवन में शांति सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा रास्ता साधना, सत्संग, आत्म-चिंतन और भक्ति द्वारा गुरु  के निकट रहना है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि तुममें आध्यात्मिकता मजबूत हो। हालांकि जब तुम शारीरिक रूप से गुरु  के निकट नहीं हो पाते, तब भी मन और आत्मा से तुम गुरु  के निकट हो सकते हो। जब व्याकुलता बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तब समर्पण में  आासन पाओ। गुरु  या ईश्वर को समर्पण कर दो। गुरु  को उनके शारीरिक रूप और व्यक्तित्व से परे देखो। ईश्वर, आत्मा और गुरु  में कोई अंतर नहीं है। गुरु  तुम्हारे असली स्वभाव का ही प्रतिबिम्ब है और तुम्हें आत्मा में वापस अग्रसर करने के लिए मार्गदशर्क है।  
अपनी लगन, श्रद्धा और वचनबद्धता से तुम स्पष्ट रूप से देख सकते हो कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, जिस पल तुम गुरु  को गुरु  मान लेते हो, उनके सभी गुण प्राप्त करना संभव हो जाता है। एक बार जब गुरु  उपाय बन जाते हैं, तुम जीवन में कभी पराजित नहीं होते। गुरु  के लिए भक्ति काफी है। गुरु  यहां तुम्हारे लिए हैं और तुम्हारे अच्छे और बुरे समय के दौरान तुम्हारे साथ हैं। तुम अकेले नहीं हो तो गुरु  को ढूंढ़ निकालो और स्वाभाविक रूप से जियो और प्रेम और आनंद में खुशी मनाओ।